चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
।। समीक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
दिल के रिश्तों को संभाले रखिए जनाब,
मैं हिंदी में इस लिए बात करता हूं क्योंकि मेरी भाषा ही मेरे
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
संतान की परीक्षा में माँ की भूमिका
जो अपने दिल पे मोहब्बत के दाग़ रखता है।
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
दिल की आरजूओं को चलो आज रफू कर ले।
मातृभाषा💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
बहुत सुना है न कि दर्द बाँटने से कम होता है। लेकिन, ये भी तो
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*राधा को लेकर वर्षा में, कान्हा छाते के संग खड़े (राधेश्यामी