Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2024 · 1 min read

“I’m someone who wouldn’t mind spending all day alone.

“I’m someone who wouldn’t mind spending all day alone.
Only one thing would make me feel alone.
Being with people I don’t feel myself with, being at places that don’t match my soul.
Being silent when I want to talk the most.
Being lonely isn’t sitting all by myself,
It’s being confined in an atmosphere that doesn’t make me feel real.”
roadtrip

17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Bodhisatva kastooriya
"फूलों की तरह जीना है"
पंकज कुमार कर्ण
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
Kuldeep mishra (KD)
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
पुष्प और तितलियाँ
पुष्प और तितलियाँ
Ritu Asooja
* संसार में *
* संसार में *
surenderpal vaidya
To improve your mood, exercise
To improve your mood, exercise
पूर्वार्थ
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
हासिल नहीं था
हासिल नहीं था
Dr fauzia Naseem shad
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
अनिल "आदर्श"
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
इक पखवारा फिर बीतेगा
इक पखवारा फिर बीतेगा
Shweta Soni
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
🙅देखा ख़तरा, भागे सतरा (17)
🙅देखा ख़तरा, भागे सतरा (17)
*प्रणय प्रभात*
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
झूठे सपने
झूठे सपने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
इस क़दर उलझे हुए हैं अपनी नई ज़िंदगी से,
इस क़दर उलझे हुए हैं अपनी नई ज़िंदगी से,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सच
सच
Sanjay ' शून्य'
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कैसे कह दें?
कैसे कह दें?
Dr. Kishan tandon kranti
अहसान का दे रहा हूं सिला
अहसान का दे रहा हूं सिला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
Rekha khichi
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
सत्यं शिवम सुंदरम!!
सत्यं शिवम सुंदरम!!
ओनिका सेतिया 'अनु '
मन को भिगो दे
मन को भिगो दे
हिमांशु Kulshrestha
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
Loading...