II हौसला,इंसान से मशीन II
वक्त का अपना कोई आकार नहीं होता ,
सुना है ईश्वर भी साकार नहीं होता l
वक्त पर काम, इंसान मशीन नहीं है,
मशीन से कोई सपना, साकार नहीं होता ll
तुम चाहो तो वक्त बदल सकते हो ,
अपनी तकदीर अपने हाथों लिख सकते होl
इंसान को वक्त के सांचे में मत ढालो ,
इंसान बनाता है वक्त ,वक्त से इंसान नहीं होता ll
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कौन कहता है कि ,पर्वत नहीं हिलते ,
तूफान के समुंदर में रास्ते नहीं मिलते l
इरादा करो पक्का, उठा कर दो कदम देखो,
धारा तो क्या समंदर पर भी चल सकते हो ll
समय तुम्हारा है तुम्हारे साथ चलना है ,
इसे तुम्हारे ही सांचे में ढलना है l
करो हौसला देखो झुकेंगे चांद तारे भी,
बहती दरिया का भी रुख बदल सकते हो ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l