II राह में था काफिला….II
राह में था काफिला भी खो गया l
मंजिलों का आसरा भी खो गया ll
वह न आए याद क्यों जाती नहीं l
अक्स खोया आईना भी खो गया ll
यह जमाना मानता है आपको l
दुश्मनों का हौसला भी खो गया ll
क्या करें हम गर्दिशों के दरमियां l
साथ मिलना आप का भी खो गया ll
शान तेरी क्या गिरी कुछ भी “सलिल”l
जो सिकंदर वक्त का भी खो गया ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l