II…..मुश्किल है पर अच्छा है II
टूटा दिल और टूटे सपने ,पहले ही सब दफन किएl
कफन ओढ़ कर जिंदा रहना ,मुश्किल है पर अच्छा हैll
आऊंगा कह कर जाना ,लिपट तिरंगे में फिर आना l
रोना भी अपमान हो गया, नुकसान बड़ा पर अच्छा है ll
अभाव की ना बात करो ,जीवन मुश्किल हो जाएगा l
चांद मिला है सूरज अपना ,यहां बहुत कुछ अच्छा है ll
दुनिया मेरा कातिल कहती ,मैं उसकी इबादत करता हूं l
अजब अनोखे ऐसे रिश्ते, पर इन्हें निभाना अच्छा है ll
कितनी कितनी बातें हो गई, बिना शब्द-ज्ञान कुछ खर्चा ही l
दांत में उसका दबा के आंचल,फिर मुस्कुराना अच्छा है ll
परिवारों की सरहद में ही ,क्यों रिश्ते सारे टूट गएl
कौन सुने और कौन बताएं ,क्या बुरा यहां क्या अच्छा हैll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश l