II बिन कहे सब कहा……II
बिन कहे सब कहा, फिर क्या रह गया l
आते आते मेरा नाम, सा रह गया ll
रुक गए थे कदम ,और लव भी हिले l
वो ना आगे बढ़े, मै रुका रह गया ll
समय का सफर ,आगे बढ़ता रहा l
वक्त मेरे लिए पर ,थमा रह गया ll
यह तिजारत मुझे ,बहुत महंगी पड़ी l
सब यहां का वहां, क्या नफा रह गया ll
कुछ न बोले मगर, बात सब हो गई l
क्या कहूं मैं खड़ा ,सोचता रह गया ll
बात मुश्किल तो, इतनी न थी “सलिल”l
था न काफी मेरा, हौसला रह गया ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l