II तुम ही सुबह शाम हमारे II
तुम ही सुबह शाम हमारे,
सूरज चंदा तारे हो l
सारी दुनिया से क्या मतलब,
बस तुम ना मुझको रोकना ll
एक दूजे का साथ है तो,
यह जीवन रण हम जीतेंगे l
ए मेरी कश्ती के साहिल,
मुझे पतवार बना कर देखना Il
मेरे जीवन के अंधेरे,
इतना भी क्या सोचना l
खुद हो दिनकर रोशनी,
पर्दे उठाकर देखना ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश