II टूट गया कुनबा …II
टूट गया कुनबा,
सब कुर्सी के दीवाने हैंl
सत्ता का नशा इतना,
अपने भी बेगाने हैं ll
ना लाज शर्म कोई ,
बेशर्म कहे फिर भीl
जज्बात तुम्हारे अब ,
जज्बात हमारे हैं ll
सबक सिखाएंगे,
इन वहशी दरिंदों को l
नीति तुम्हारी है ,
पर वोट हमारे हैंll
ना मां बहन सुरक्षित हैं,
गुंड़ों का जमाना है l
सब लूट लिया देखो,
अभी और भी खाना हैll
कल आओगे चौखट पर,
तुमको बताएंगे l
हमको पता है क्या,
अधिकार हमारे हैं ll
वह सब का मालिक है ,
सब उसके सहारे हैं l
जज़्बात है जो अपने,
सब उसने उतारे हैं ll
सब भूल चुका हूं अब,
क्या अपना पराया है l
ख्वाब तुम्हारे सब,
अब ख्वाब हमारे हैं ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश