II जहां मांग खत्म हो जाती है…II
जहां मांग खत्म हो जाती है l
जहां स्वाद खत्म हो जाता है ll
ना कुछ अपना रह जाता है l
सब कुछ अपना हो जाता है ll
वह तुमको वही पर मिलता है l
और भीतर ही बस जाता है ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l
जहां मांग खत्म हो जाती है l
जहां स्वाद खत्म हो जाता है ll
ना कुछ अपना रह जाता है l
सब कुछ अपना हो जाता है ll
वह तुमको वही पर मिलता है l
और भीतर ही बस जाता है ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l