II जनता बेचारी II
जाएं भी तो जाएं कहां अब,मरना खटना लाचारी है l
समझ रहे सरकारी रुतबा, पर शोषण भी सरकारी है ll
यहां दरिंदे शासन करते,और हाथ जोड़ते ऊपर से l
किसे छोड़ दे किसे चुने,दोराहे जनता बेचारी है ll
मूक बधिर अंधी जनता ,कुछ टुकड़ों के लालच में l
पांच साल की कैद लिखाती,बहुत बड़ी बेकारी है ll
इतनी हलचल मे भी हमने,स्थिर रहना सीख लिया l
बिना दाग कीचड़ में रहना ,बहुत बड़ी खुद्दारी है ll
इतना सीधा सरल नहीं है, साथ हवा के बहाना भी l
पल पल मारता ईमान देखना,’सलिल’ बड़ी बीमारी है ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश l