II गलत लगता है II
उम्मीद के दीपक तो ठीक, जलाना गलत लगता है l
आंख से आंसू बहते रहे,पर सजाना गलत लगता है ll
आगे बढ़ो हिम्मत करो ,सूरज पश्चिम से भी निकलेगा l
उम्मीद के सहारे तो ठीक, बैठ जाना गलत लगता है ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l
उम्मीद के दीपक तो ठीक, जलाना गलत लगता है l
आंख से आंसू बहते रहे,पर सजाना गलत लगता है ll
आगे बढ़ो हिम्मत करो ,सूरज पश्चिम से भी निकलेगा l
उम्मीद के सहारे तो ठीक, बैठ जाना गलत लगता है ll
संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l