II ए रातें सुला दूं….II
ए रातें सुला दूं सितारे बुझा दूं l
मैं धीरे से उल्फत कि शम्मा जला दूंll
बनाएंगे मिलकर नया ही जहां हम l
जो है दूरियां आज सारी मिटा दूं ll
ना हो कोई झगड़े ना कोई लड़ाईl
गिले और शिकवे सभी में मिटा दूं ll
भला या बुरा कुछ भी होता नहीं है l
ए दिल जो भि मांगे उसे मैं दिला दूंगा ll
डगर है ए मुश्किल तु चलना संभल के l
रहे राह में जो भी कांटे हटा दूं ll
चलो आज से एक दूजे के लिए हम l
जो पूछे ए दुनिया उसे भी बता दूं ll
संजय सिंह ‘सलिल’
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश l