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6 Nov 2021 · 7 min read

अपहरण

महेश एक टायर विक्रेता व्यवसायी थे ,
उनका कारोबार कानपुर एवं उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में था।
उन्होंने कड़ी मेहनत से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया था। शुरुआत मैं उनकी एक छोटी सी दुकान थी इसके पश्चात उन्होंने उन्नति कर एक मुकाम हासिल किया ।
आज उनके पास सभी प्रमुख टायर कंपनियों की एजेंसी थी ।
उनका ड्राइवर बद्री दिवाली मनाने एक हफ्ते की छुट्टी लेकर गांव गया हुआ था , इसलिए कुछ दिनों से महेश स्वयं ही गाड़ी ड्राइव कर ऑफिस जा रहे थे।
उस दिन करीब सुबह 9:30 बजे महेश फ्लैट की पार्किंग से गाड़ी निकाल कर रवाना हुए थे कि निकलते ही सड़क पर एक व्यक्ति ने उन्हें हाथ देकर रोका उसके हाथ में लिए कागज में एक पता लिखा हुआ था उसने महेश से वह पता पूछा ।
वह पता थोड़ी दूर स्थित एक रिहायशी बिल्डिंग का था। महेश ने उसे वह पता बता दिया , इस पर वह बोला अगर आपको ऐतराज नही हो तो कृपया आप वहां तक मुझे छोड सकते हैं क्या ?
चूँकि रास्ते में कुछ दूर पर ही वह बिल्डिंग थी , इसलिए महेश ने उसे गाड़ी में बैठा लिया।
गाड़ी अभी कुछ ही दूर गई होगी तभी अचानक उस व्यक्ति के तेवर बदल गए और उसने पिस्तौल निकालकर महेश के कनपटी पर सटा दी ; और कहा
चिल्लाना नहीं वरना भेजा उड़ा दिया जाएगा।
उस व्यक्ति के अप्रत्याशित व्यवहार से महेश के काटो तो खून नहीं , वे समझ गये कि वे भयंकर मुसीबत में फस चुके हैं और यह व्यक्ति उसके विरुद्ध सोची समझी साजिश का हिस्सा है।
उस व्यक्ति ने महेश से कहा जैसा मैं कहता हूं वैसे ही गाड़ी चलाते जाओ होशियारी दिखाई तो मारे जाओगे।
कुछ दूर जाने पर एक जगह पर उसने गाड़ी रोकने को कहा। गाड़ी रुकते ही उसके दो और साथी गाड़ी में सवार हो गए। उसमें से एक साथी ने ड्राइविंग सीट पर सवार होकर स्टेयरिंग संभाल ली।
महेश को पिछली सीट पर बीच मे बिठाकर उसके अगल-बगल दोनो व्यक्ति बैठ गए। उन्होंने महेश का मोबाइल छुड़ाकर अपने पास रख लिया।
गाड़ी को वे शहर से दूर पुराने खंडहर के पीछे ले गए , वहां पर एक स्कॉर्पियो गाड़ी के साथ उनका एक साथी इंतजार कर रहा था उन्होंने महेश की गाड़ी को वहीं छोड़ दिया और स्कॉर्पियो में रवाना होकर शहर से बाहर निकल गए।
महेश की समझ में नहीं आ रहा था ये लोग उससे क्या चाहते हैं । अभी तक उन्होंने महेश से किसी भी तरह फिरौती की मांग भी नहीं की थी।
दोपहर को रास्ते के ढाबे में उन्होंने महेश को खाना खिलाया। और फिर किसी अज्ञात गंतव्य की ओर रवाना हो गए। रात को करीब 11:00 बजे एक फॉर्म हाउस पहुंचे। वहां का चौकीदार उनका इंतजार कर रहा था। एक कमरे में महेश के सोने की व्यवस्था कर रखी थी। उन्होंने रात्रि खाने के पश्चात महेश से कहा आप आराम से सो जाओ सवेरे बात करेंगे ,भागने की कोशिश मत करना वरना मारे जाओगे।
अभी तक उन्होंने किसी भी तरह की अभद्रता सिवाय धमकी के महेश के साथ नहीं की थी।
अतः महेश को लग रहा था कि वे किसी पेशेवर गिरोह से संबंधित है।
सवेरे 9:00 बजे के आसपास चाय नाश्ते के पश्चात एक व्यक्ति जो उनका सरदार लगता था,
ने महेश से बात की और कहा आपका अपहरण हमने कर लिया है। फिरौती की रकम एक करोड़ रुपए तय की गई है। जब तक हमें रकम नहीं मिलती आप हमारे मेहमान बने रहोगे।
महेश ने कहा यह रकम बहुत अधिक है मेरे पास इतनी रकम नहीं है ना मैं इंतजाम कर पाऊंगा।
इस पर उसने कहा ठीक है हम विचार करके आपको बतलाते हैं ।
महेश के घर ना आने पर उसकी पत्नी कल्पना एवं पिता बैजनाथ बाबू काफी चिंतित हो रहे थे। महेश का मोबाइल स्विच ऑफ था उससे कोई संपर्क स्थापित नहीं हो रहा था।
ऑफिस , शोरूम , मित्रों , डीलरों ,रिश्तेदारों के यहां कहीं भी महेश के बारे में जानकारी नहीं थी।
थक हार कर बैजनाथ बाबू ने महेश के गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दाखिल कर दी।
पुलिस की तहकीकात में महेश की गाड़ी पुराने खंडहर के पीछे खड़ी मिली।
पुलिस समझ गई की प्रथमदृष्टा यह अपहरण का मामला है। और इस दृष्टिकोण से मामले की तहकीकात में जुट गई। उन्होंने कल्पना एवं बैजनाथ बाबू के मोबाइल कॉल अपनी निगरानी में ले लिए।
इधर करीब 4:00 बजे वह गिरोह का सरदार फिर आकर बोला चलो आपके लिए फिरौती की रकम पचास लाख कर दी है। परंतु इसके लिए हम आपको केवल 3 दिन का वक्त देंगें और पूरा पैसा कैश में लेंगें । इस पर महेश ने कहा आपको हम इतनी बड़ी रकम कैश में नहीं दे पाएंगे ,
यदि आप चाहो तो हम रकम ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर आपके अकाउंट में कर सकते हैं , जिसमें से आप पैसा निकाल सकते है।
इस पर सरदार बोला मैं सोच कर बताता हूं।
1 घंटे बाद वह फिर आया और बोला ठीक है मैं तुम्हें एक अकाउंट नंबर देता हूं उसमें तुम ऑनलाइन रकम ट्रांसफर कर दो। महेश ने कहा मुझे मेरा मोबाइल वापस दो , मैं अपनी पत्नी से बात करके रकम की व्यवस्था करके मेरे अकाउंट में जमा करने के लिए के कहता हूं। जैसे ही रकम जमा करने का मैसेज मेरे मोबाइल में आता है , वैसे ही आपके अकाउंट में मोबाइल से आनलाइन पैसा ट्रांसफर कर दूंगा।
कुछ देर बाद सरदार आया और महेश से कहा हम आपका मोबाइल अभी दे नहीं सकते , आप इस दूसरे मोबाइल से अपनी पत्नी से बात करके पैसा जमा करने को कहो। महेश ने उसके दिये मोबाइल पर कल्पना से बात की और कहा कि वह उसके अकाउंट में किसी भी तरह व्यवस्था करके पचास लाख रुपए 3 दिन के अंदर जमा कर दे।
इस पर कल्पना ने कहा कि वह व्यवस्था करके उसे उस मोबाइल नंबर पर मैसेज कर देगी।
यह बात उसने सरदार को बताई की व्यवस्था के लिए बोल दिया है 3 दिन के अंदर रकम की व्यवस्था हो जाएगी।
बैजनाथ बाबू ने किसी तरह रकम का इंतजाम कर महेश के खाते में तीसरे दिन बैंक खुलते ही रकम जमा कर दी। बैजनाथ बाबू ने बैंक मैनेजर से मिलके इस घटना की पूरी जानकारी उन्हें दी।
इस पर बैंक मैनेजर ने कहा ऑनलाइन ट्रांसफर करने पर रकम जमा होने का मैसेज जल्दी जरूर मिल जाता है ,परंतु अकाउंट से बड़ी रकम निकालने में वक्त लगता है। चूँकि रकम सामान्य से अधिक है अतः पूरी रकम निकालने की प्रक्रिया में अधिक वक्त लग सकता है। क्योंकि आजकल ऑनलाइन धोखाधड़ी होने की वजह से बैंक भी ग्राहकों के हित में सावधानी बरत रही है , और जब तक हितग्राही के प्रति आश्वस्त नहीं हो जाती ,तब तक बड़ी रकम निकासी अवरुद्ध करती है।
अतः आपके पास अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अतिरिक्त समय है।
इधर पुलिस ने निगरानी पर लिए मोबाइल पर कल्पना एवं महेश की बातें सुन ली थी। और उन्हें वस्तुःस्थिति का कदम कदम पर पता लग रहा था।
महेश ने जिस मोबाइल से बात की थी उसकी लोकेशन बिहार के किसी दूरदराज गांव की थी।
पुलिस समझ गई थी कि उसे गुमराह कर बेवकूफ बनाने के लिए गलत लोकेशन मोबाइल में सेट थी।
बैजनाथ बाबू ने उनकी बैंक मैनेजर से हुई बात को पुलिस को बता दिया कि ऑनलाइन ट्रांसफर के बाद अकाउंट से पूरा पैसा निकालने मे अधिक समय लग सकता है।
पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा आप चिंता मत करो महेश के मोबाइल से ऑनलाइन रकम ट्रांसफर करते ही उसकी लोकेशन पता लग जाएगी,
और अपराधियों को उनके लोकेशन पर घेरने और पकड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
चूँकि महेश ने उनके अकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर दिया होगा एवं पैसा उनके अकाउंट में आने पर वे आश्वस्त हो जाएंगे , इसलिए वे महेश को कोई हानि पहुंचाने की कोशिश नहीं करेंगे।
कल्पना के मोबाइल से रकम जमा करने का मैसेज मिलते ही सरदार ने महेश को उसका मोबाइल ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए दे दिया , और महेश ने अपने वादे के मुताबिक पचास लाख रुपए उसके द्वारा दिए गए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए।
रकम उनके अकाउंट में आने के बाद वे लोग खुशी से झूम उठे। और दारू पार्टी करने लगे।
महेश बहुत चिंतित था , न जाने कैसे कल्पना और बाबू जी ने पैसे की व्यवस्था की होगी , और वह कैसे उतनी बड़ी रकम चुकायेगा ।
इधर महेश के ऑनलाइन रकम ट्रांसफर करते ही उसके मोबाइल की लोकेशन पुलिस को पता चल गई , और पुलिस सक्रिय हो गई स्थानीय पुलिस की मदद से उस फार्म हाउस की घेराबंदी कर ली गई।
फार्म हाउस में पार्टी मना रहे नशे में अपराधियों को संभलने का मौका नहीं मिला ,
हालांकि कुछ अपराधियों ने पुलिस पर गोली चला कर भागने की कोशिश की परंतु पुलिस ने उन्हें भागने का मौका न देकर दबोच लिया। इस तरह कुल 8 लोगों को पुलिस ने घटनास्थल से गिरफ्तार किया और उनकी गिरफ्त से महेश को आजाद किया।
महेश ने अपने मोबाइल पर कल्पना और बाबू जी से बात की तब बाबू जी ने मैनेजर द्वारा रकम ट्रांसफर के विषय में बताई पूरी जानकारी दी ,और महेश को बैंक मैनेजर से बात कर रकम निकासी को ब्लॉक करने के लिए सूचित करने को कहा।
महेश ने बैंक मैनेजर से रकम निकासी को ब्लॉक करने के लिए कहा , बैंक मैनेजर ने महेश को रकम निकासी ब्लॉक करने का कारण एवं उसके साथ घटित घटना के संक्षिप्त विवरण का email बैंक को भेजने हेतु कहा। तदनुसार उसने बदमाशों के अकाउंट से रकम की निकासी को ब्लॉक कर दिया। तब तक बदमाश अपने अकाउंट से पचास हजार रुपये ATM के माध्यम द्वारा निकाल चुके थे।
इधर पुलिस ने अपराधियों पर अपहरण का केस दर्ज कर कर जेल भेज दिया।
अपराधियों से पूछताछ करने पर पुलिस को यह पता चला कि महेश के व्यावसायिक प्रतिद्वंदी अजीत ने उन्हें महेश का अपहरण करने की सुपारी दी थी। अपहरणकर्ताओं के बयान के आधार पर पुलिस ने अजीत को गिरफ्तार कर उस पर केस दर्ज कर दिया।
पुलिस ने शीघ्र ही अकाउंट वाले बदमाश को गिरफ्तार कर महेश को पूरी फिरौती की रकम वापस करवा दी।
महेश ने स्थानीय व्यापारी संगठन सम्मेलन में पुलिस इंस्पेक्टर एवं उसके सहयोगियों को सम्मानित कर प्रशस्ति पत्र भेंट किए एवं उनके सहयोग एवं तुरंत कार्यवाही की भूरी भूरी प्रशंसा की।

Language: Hindi
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