पिंजर
कितने ही चिराग नजरों ने बुझते हमने देखे ।
आलीशान ,हसीं महल मलबे में बदलते देखे।
जिनको गुरुर था अपने हुस्न ओ जवानी का ,
वो जिस्म उम्र दराज़ी के बाबत पिंजर बनते देखे ।
कितने ही चिराग नजरों ने बुझते हमने देखे ।
आलीशान ,हसीं महल मलबे में बदलते देखे।
जिनको गुरुर था अपने हुस्न ओ जवानी का ,
वो जिस्म उम्र दराज़ी के बाबत पिंजर बनते देखे ।