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24 Nov 2021 · 1 min read

दरिया और चांद

रात्रि में
एक दरिया
एक चमकीली नीली रेखा सा
शांत चित्त से
बह रहा
आकाश का पीला चांद
उसमें तैर रहा
एक फूल की छवि सा
दरिया बह रहा पर
चांद है ठहरा हुआ
दिखने में
कितने करीब हैं दोनों पर
यह तो वही जाने कि
उन दोनों के बीच कितने
मीलों की है दूरियां
फासले दरमियान होकर भी
कई बार हम एक दूसरे के
कितने करीब होते है
एक दूसरे को देख नहीं पाते
छू नहीं पाते
महसूस नहीं कर पाते पर
एक दूसरे को सोचे बिना
एक दूसरे के बिना रह नहीं
पाते
एक दूसरे के बिना जी
नहीं पाते
एक दूसरे के बिना मर नहीं
पाते।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
164 Views
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