जय हो कंप्यूटर देवता ! ( हास्य-व्यंग्य कविता)
जबसे हमारे घर पधारे हैं आप ,
हमारी पूरी दुनिया ही बन गए आप,
बन गए आप ही दुनिया तो जाएँ कहां ?
आप को छोड़कर अब दिल लगाएं कहां ?
दिल लगा आपसे ऐसा कुछ मत पूछो,
आप ही इश्क ओ इबादत औरों को छोड़ो।
हम जो मरते आप पर वजह स्पष्ट है ,
आप है ज्ञान का भंडार यह दृष्ट्य है ।
आप से ही तो मिलता।हमें सारा इल्म।
अब छोड़ के आपका दर जाएँ कहां हम ।
हर शय प्यारी लगे आपके पहलु में आकर,
रह गए सांवले सलोने रूप के net में फंसकर।
facebook , google जैसे social network ,
भूल कर सारे काज करे हमेशा आपका work।
यहाँ एक हम है और एक आप हैं सरकार !
आपके सिवा और किसी ने नहीं कोई सरोकार ।
हमारे जीवन में आपसे ही इंकलाब आया ,
सोशल मीडिया में आपने स्थान दिलवाया ।
बनवाके एक अदद profile life बना डाली।
लाइक और कमेंट्स की झड़ी लगवा डाली ।
आपने वास्तव में सामाजिक प्राणी बनाया ,
समय समय पर समाज से हमें जुड़वाया ।
लोगोंके दुख सुख में भागीदार बनाकर ,
यथोचित व्यवहार करवाया मित्र बनकर ।
आप ही हमें फन के कद्र दान दिलवाये ,
वर्ना घरवालों ने सदा शायरी पर मुंह बनाए।
अब आप ही बताए आप क्यों न प्यारे लगे ,
आपके श्रेय से ही दिल में उम्मीदों के दीप जगे ।
जय हो कंप्यूटर देवता ! आपकी कृपा बनी रहे,
इस जन्म में या अगले जन्म में साथ हमारा बना रहे