जब तेरा ये मन शुद्ध होगा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
2 जून की रोटी.......एक महत्व
तेरी हर शिकायत भी मुझसे ही है,
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
জয় শিব শঙ্কর (শিবের গান)
महकती नहीं आजकल गुलाबों की कालिया
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*** होली को होली रहने दो ***
भगवान् बुद्ध वेद विरोधी तथा नास्तिक नहीं थे (Lord Buddha was not anti-Veda or an Atheist)
मासुमियत है पर मासुम नहीं ,
चाह यही है कवि बन जाऊं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
चाहे बड़े किसी पद पर हों विराजमान,
भिंडी ने रपट लिखाई (बाल कविता )
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभाल कर।
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
बाण मां रा दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हाइपरटेंशन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर