विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
।। आशा और आकांक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जिंदा हूँ अभी मैं और याद है सब कुछ मुझको
मां सीता की अग्नि परीक्षा ( महिला दिवस)
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
वाणी वह अस्त्र है जो आपको जीवन में उन्नति देने व अवनति देने
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
सुन लेते तुम मेरी सदाएं हम भी रो लेते
42...Mutdaarik musamman saalim
छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप