*श्री राजेंद्र कुमार शर्मा का निधन : एक युग का अवसान*
*********** एक मुक्तक *************
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
मेरे टूटे हुए ख़्वाब आकर मुझसे सवाल करने लगे,
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ये कैसी मंजिल है इश्क की.....
न मां पर लिखने की क्षमता है
🚩साल नूतन तुम्हें प्रेम-यश-मान दे।