- तुम ही मेरे जीने की वजह -
अशोक पुष्प मंजरी घनाक्षरी
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
घर परिवार पड़ाव - बहाव में ठहराव
जिन्दगी परिणाम कम परीक्षा ज्यादा लेती है,खुशियों से खेलती बह
बज्जिका के पहिला कवि ताले राम
तुम प्रेम सदा सबसे करना ।
ग़ज़ल __गुलज़ार देश अपना, त्योहार का मज़ा भी ,
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िंदगी से जितना हम डरते हैं,
सपने ना बंद आँखो में है ,
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
सच तो जीवन में शेड का महत्व हैं।
"पँछियोँ मेँ भी, अमिट है प्यार..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD