Ghazals | Famous Rajasthani Ghazal | Anjas
ग़ज़लां
राजस्थानी ग़ज़ल री परम्परा घणी लांबी है। अठै उणी’ज परम्परा री बानगी सरूप ग़ज़लां रौ संग्रै करियोड़ो है।
अतुल कनक
अब्दुल समद ‘राही’
आनन्द प्रिय
आशा पाण्डेय ओझा
कामण छै
अतुल कनक
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यो तो थारो सगपण छै
जे मनवाराँ द्वासण छै
च्यारूँ आड़ी अबखायाँ
जाणै जूण एक रण छै
सीस चढ़ाओ या माटी
चंदन ईं को कण-कण छै
तड़कै पूछैगो सूरज
क्है कांई सीरावण छै
थारो हेत मिल्यो जद सूँ
सगळी दुनिया बैरण छै
मौको छै अर मन भी छै
आज तोड़ द्यै जे खण छै
ऊँ बैरागण के बेई
गजल कनक की कामण छै
थाळाबेळी माँड
अतुल कनक
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माँड सके तो माँड, जगत की थाळाबेळी माँड
ताता स्वारथ पे मनवाराँ सैळी- सैळी माँड
कश्याँ डायजा का बासक ने विख फूँक्यो हिवड़ा में
अणब्याही क्यूँ रेहगी मेंहदी रची हथेळी -माँड
घणां माँड ल्या थँने रोवणा, स्याणापण ईं ओढ़्यां
अब कोय दन अटली मटली गाँठ गठेळी माँड
ऊँ ने हामळ भर दी सगळी मनवाराँ द्वासण कर दी
लड़कपणा ईं तज, गजलाँ सूँ सूँठ- सठैळी माँड
सौरम तो गरणावै छै- पण सरणाटो गूँजे छै
कुण की बाट उडीके छै या बंद हवेळी माँड
जोगन बण के कद तांई दन काटैगी ऊमर
उफण न्हँ ज्यावै चूल्हा माथै चढ़ी तपैळी माँड