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19 Sep 2021 · 1 min read

Ghazal

लफ़्ज़ जो भी ज़ुबाँ नहीं पाते,
वो कलम से हैं फिर कहे जात

दिल ज़माने के ज़ख़्म सह भी ले,
तीर तेरे नहीं सहे जाते।

इक समंदर सा इश्क़ हो जैसे…
सब नदी से हैं बस बहे जाते।

© निकी पुष्कर Niki Pushkar

1 Like · 330 Views
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