Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Nov 2024 · 1 min read

Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and

Genuine friends lift you up, bring out the best in you, and make you feel good about yourself. They’re the people who celebrate your wins, support you through tough times, and keep you grounded. With the right circle, you don’t have to pretend to be anyone else, you can just be yourself, flaws and all. These friends don’t drain your energy, they fill you up, make you laugh, and remind you of what really matters. Being surrounded by people like that is the real glow-up, because they help you shine from the inside out.

19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम प्यार मोहब्बत समझती नहीं हो,
तुम प्यार मोहब्बत समझती नहीं हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
राम की रीत निभालो तो फिर दिवाली है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
खुद्दार
खुद्दार
अखिलेश 'अखिल'
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
*उदघोष*
*उदघोष*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
सज धज के आज वो दीवाली मनाएगी
इशरत हिदायत ख़ान
सबका साथ
सबका साथ
Bodhisatva kastooriya
औरत की अभिलाषा
औरत की अभिलाषा
Rachana
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
Shambhavi Johri
🙅स्लो-गन🙅
🙅स्लो-गन🙅
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Dr. Sunita Singh
" रात "
Dr. Kishan tandon kranti
आटा
आटा
संजय कुमार संजू
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय
नाम:- प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
Pratibha Pandey
राम : लघुकथा
राम : लघुकथा
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
ये वादियां
ये वादियां
Surinder blackpen
सौंदर्य छटा🙏
सौंदर्य छटा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
जीते जी मुर्दे होते है वो लोग जो बीते पुराने शोक में जीते है
Rj Anand Prajapati
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
शिव प्रताप लोधी
3174.*पूर्णिका*
3174.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
इंसान उसी वक़्त लगभग हार जाता है,
Ajit Kumar "Karn"
अधूरी प्रीत से....
अधूरी प्रीत से....
sushil sarna
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
सज्जन पुरुष दूसरों से सीखकर
Bhupendra Rawat
روح میں آپ اتر جائیں
روح میں آپ اتر جائیں
अरशद रसूल बदायूंनी
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत  का नही है ज्य
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत का नही है ज्य
पूर्वार्थ
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
जो बातें अनुकूल नहीं थीं
Suryakant Dwivedi
वो एक एहसास
वो एक एहसास
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...