Geet
हसीन चहरे पर ओढ़े नकाब की तरह,
तेरी आँखो को पढ़ रहा हूं किताब की तरह।
आज रात का चाँद मैने रोक है रखा,
मेरा इश्क उमड पड़ा है सैलाब की तरह।
प्यास दे जो बुझा उस तालाब की तरह,
तेरे होंठ लगते मुझे है गुलाब की तरह।
यूं ही मिलती रहोगी तो बहकता रहूंगा मैं,
तेरी आदत हो है गयी मुझे शराब की तरह।
बड़ी मुश्किल से जीते हुए खिताब की तरह,
तू मुझे मिल है गई किसी ख्वाब की तरह।
पा लिया है मैने आज खजाना इश्क का,
मेरी शख्शियत हो गयी है नबाव की तरह।