Gazal प्रतियोगिता के लिए
ग़ज़ल
वो परवाना तो बनना चाहता है.
मगर जलने से बचना चाहता है.
अना को बेचकर हाकिम के हाथों
किसी घुॅघरू सा बजना चाहता है.
नदी तो चाहती है हक़ से जीना
समन्दर पर न झुकना चाहता है
पिछत्तर साल से नेता हमारा
नए भारत का सपना चाहता है
हुनर वो कैद है इक तंग घर में
मिले गर पंख उड़ना चाहता है
सड़क पर हो रही बेहूदगी से
तमाशाई भी बचना चाहता है
पिलाकर दूध सांपों को सपेरा
वो उनके फन कुचलना चाहता है
मनी कितनी अकेली हो गई हो
कि अब हर कोई मिलना चाहता है
manisha joshi