G30
इंसान को फरिश्ते से कमतर समझ लिया।
गुस्से को तुमने प्यार में तेवर समझ लिया।
❤️
आंखों में तेरी डूब कर आया मुझे खयाल।
मैंने तो इसे इश्क ए समंदर समझ लिया।
❤️
फर्क है जमीन में और आसमान में।
दोनो को तुमने कैसे बराबर समझ लिया।
❤️
उस शख्स से सगीर उलझना फिजूल है।
जिसने पतंजलि को ही डाबर समझ लिया।
❤️
सब के मिजाज एक से होते नहीं सगीर।
लोगों ने आपदा को ही अवसर समझ लिया।
❤️
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा