G20
बंद आंखों में तेरे ख्वाब नजर आते हैं।
आंख खुल जाए तो सब ख्वाब बिखर जाते हैं।
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रोज समझाता हूं दिल को न तेरा ना पीछा करे।
तू जिधर जाए कदम मेरे उधर जाते हैं।
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तुझको पाने की तमन्ना, तू ही ख्वाहिश मेरी।
अपनी मंजिल की तरफ सारे सफर जाते हैं।
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मेरी तकलीफ मेरे गम मेरे आंसू सब कुछ।
देख लेता हूं तुझे जाने किधर जाते हैं।
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हुस्न है फूल की मानिंद सगीर।
देख लेते हैं उसे फूल निखर जाते हैं।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार