ताउम्र जलता रहा मैं तिरे वफ़ाओं के चराग़ में,
🔱🔱जय जय मां भवानी - जय मां शैलपुत्री- हैप्पी नवरात्रि।🔱🔱
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
मैंने कभी भी अपने आप को इस भ्रम में नहीं रखा कि मेरी अनुपस्थ
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
मैं समुद्र की गहराई में डूब गया ,
********** आजादी के दोहे ************
आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें ह
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*आया पूरब से अरुण ,पिघला जैसे स्वर्ण (कुंडलिया)*
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
॥ जीवन यात्रा मे आप किस गति से चल रहे है इसका अपना महत्व ह
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi