*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
अपनी ही हथेलियों से रोकी हैं चीख़ें मैंने
हम तूफ़ानों से खेलेंगे, चट्टानों से टकराएँगे।
कहमुकरी : एक परिचयात्मक विवेचन
रिश्तों में आपसी मजबूती बनाए रखने के लिए भावना पर ध्यान रहना
क्या से क्या हो गया देखते देखते।
जीवन जीने का ढंग भाग 2, - रविकेश झा
*दादी बाबा पोता पोती, मिलकर घर कहलाता है (हिंदी गजल)*
वृक्षारोपण कीजिए
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में