ख्वाब
ज़िन्दगी तूने जो दोस्त मिलाये है।
ये दोस्ती मे जख़्म भी हमने उन्ही से पाये है।।
कैसे कह दूँ उनसे मेरा रिश्ता कोई नहीं
बार बार लड़ कर भी मैने जो निभाऐ है।
दोस्त झूठे मिलकर सब एक हो गए
मिलकर सब दोस्ती ये निभाऐ है।।
सुना है निभाते है अपने ही दोस्त साथ जिंदगी
भर
जिंदगी मे गम भी अपनों ने मुझे ढाये है।
गलियों में मेरी क्यूँ दूरियाँ सी भरी है
लगता है रात भर केवल मैने आँसू बहाये है।
गर्म रेत पर दो कदम साथ न चल सके
उम्र भर का वो साथ निभाने आये है।
जिन चिरागों को हवाओं से बचा कर रखा
उन्ही चिरागों से आज हमने हाथ जलाये है।
मै ही अकेला दुनियां में प्यासा नहीँ
दूसरो ने भी दोस्ती में धोखा खाऐ है।
रात भर बाहर धुआँ सा उठता रहा
लगता है तमाम रात किसी ने ख्वाब जलाये है।
भरी ठंड में भी तेरी आँखों ने लक्की
रोज़ आँसुओ के समंदर बहाये है।।
दोस्त से कल रात बात करने के बाद जो विचार
मन मे उमड़े उन्ही पलो की छाप
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान