आप जीवित इसलिए नही है की आपको एक दिन मरना है बल्कि आपको यह ज
इस तरह मुझसे नज़रें चुराया न किजिए।
प्राणियों में आरोग्य प्रदान करने की पूर्ण शक्ति रखने वाला आं
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
मेरी माँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
बड़ी देर तक मुझे देखता है वो,
I Can Cut All The Strings Attached.
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
इसलिए आप मुझको बुलाए नहीं
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
*लोग सारी जिंदगी, बीमारियॉं ढोते रहे (हिंदी गजल)*
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
गज़ल
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
गुरु चरणों की धूल*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी