*गाता मन हर पल रहे, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
इस दुनिया में कोई भी मजबूर नहीं होता बस अपने आदतों से बाज़ आ
प्रेम किसी दूसरे शख्स से...
छुआ है जब से मैंने उम्र की ढलान को,
बुलन्दियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी लेकिन कुछ अपनो को औ
विधाता है हमारे ये हमें जीना सिखाते हैं
मैं हर रोज़ देखता हूं इक खूबसूरत सा सफ़र,
मन हमेशा एक यात्रा में रहा
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब