निलय निकास का नियम अडिग है
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
भला कैसे सुनाऊं परेशानी मेरी
जहाँ जहाँ कोई उर्दू ज़बान बोलता है।
गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)
प्यार का दुश्मन ये जमाना है।
मातृभूमि पर तू अपना सर्वस्व वार दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सांसों का थम जाना ही मौत नहीं होता है
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "