"" *माँ के चरणों में स्वर्ग* ""
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
हार से भी जीत जाना सीख ले।
तुम्हारा ज़वाब सुनने में कितना भी वक्त लगे,
विषय: असत्य पर सत्य की विजय
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...?
जब मेरा अपना भी अपना नहीं हुआ, तो हम गैरों की शिकायत क्या कर
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
वो कुछ इस तरह रिश्ता निभाया करतें हैं
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
मरा नहीं हूं इसीलिए अभी भी जिंदा हूं ,
*** लहरों के संग....! ***
जिंदगी तेरे कितने रंग, मैं समझ न पाया