यह जो कानो में खिचड़ी पकाते हो,
जब मुझको कुछ कहना होता अंतर्मन से कह लेती हूं ,
Anamika Tiwari 'annpurna '
जगमग जगमग दीप जलें, तेरे इन दो नैनों में....!
singh kunwar sarvendra vikram
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
सच्ची कविता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
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***रिमझिम-रिमझिम (प्रेम-गीत)***
The Sky Longed For The Earth, So The Clouds Set Themselves Free.
हरी उम्र की हार / मुसाफ़िर बैठा
रात भर नींद की तलब न रही हम दोनों को,
बैठे बैठे कोई ख़याल आ गया,
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।