Ek Kitaab
ज़िंदगी पर मैं जब एक किताब लिखूंगा!
उस वक़्त में मैं सभी का हिसाब लिखूंगा!
वक़्त तो फ़िसल रहा है बस हाथों से मेरे!
ख़ुद की चाहतों को मैं बेहिसाब लिखूंगा!
उन से बहुत सी वो बातें जो कह न सका!
गर लिख सका तो मैं वो हर बात लिखूंगा!
तारीफ़ भी न कर सका उनके शबाब की!
आफ़ताब लिखूंगा उसे माहताब लिखूंगा!
आवाज़ न दूं पर याद आयेगी तू हर रोज़!
बिन नाम की हर ग़ज़ल तेरे नाम लिखूंगा!
वजह तुम ही हो मेरी शायरी लिखने की!
तुम दुर चले जाओगे तो मैं कैसे लिखूंगा!
ANOOP S.