फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
हमेशा की नींद सुला दी गयी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
उठ रहा मन में समन्दर क्यूँ छल रहा सारा जहाँ,
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
*गॉंधी जी सत्याग्रही, ताकत में बेजोड़ (कुंडलिया)*
दुनिया से ख़ाली हाथ सिकंदर चला गया
अपनी मानहानि को पैसे में तौलते महान!
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
आई आंधी ले गई, सबके यहां मचान।
सफलता कड़ी मेहनत और दृढ़ता की शक्ति में विश्वास करती है। अक्
जिंदगी हमें किस्तो में तोड़ कर खुद की तौहीन कर रही है