Dekho Bander bantta
देखो बंदर बांटता
रोटी का टुकड़ा मिला, लड़ी बिल्लियां खूब।
आपा धापी में पड़ी, गई लोभ में डूब।।
झगड़ा सुनकर आ गया, चातर बंदर एक।
मैं सुलझाऊं मत लड़ो, बैठ गया ला टेक।।
देखो बंदर बांटता, लिए तराजू हाथ।
तोड़ तोड़ कर खा रहा, जो जो लागा हाथ।।
झुकता पलड़ा देख कर, तोड़ी उसने कौर।
बिल्ली दोनों देखती, लगे चोर पर मोर।।
बंदर रोटी खा गया, लगा नहीं कुछ हाथ।
अब पछताए क्या बने, लड़ लड़ फूटे माथ।।
लड़ना भिड़ना छोड़ दे, कर आपस में प्यार।
वैर भाव को भूल कर, छोड़ सभी तकरार।।
सिल्ला बंदर बांट से, हो अपना नुकसान।
बंदर करता न्याय कब, पूरा है शैतान।।
-विनोद सिल्ला