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साहस
साहस …. वीरता …एक ही सिक्के के दो पहलू कहे जा सकते हैं। अक्सर साहस हमसे वह काम करवा देता है जो हम सहज में नहीं कर सकते। उसके लिये हमारे मन में होनी चाहिये आस्था ,,श्रद्धा,विश्वास ,प्रेम तब जन्म होता है साहस का।
साहस हमारे अंतर में छिपी वह भावना है जो किसी की मदद करने या आक्रमणकारियों के सामने खड़े होने का जज्बा पैदा करता है। इसी कारण विगत में स्वतंत्रता हेतु अबाल,वृद्ध,जवान ,महिलाओं सभी ने देश के प्रति प्रेम हेतु साहस दिखाते हुये स्वयं को शहीदों की श्रेणियों में खड़ा कर दिया।
कारगिल विजय के समय भी वही साहस काम आया था ।अन्यथा रोहतांग दर्रा जैसा अतिशीतल स्थान पार करना असंभव ही था।
आज भी हमारी सेना -0 डिग्री ठंड में आत्म साहस से ही सीमा पर डटी हुई है …।
इतिहास खोल कर देखें तो साहस के अनेकों किस्से लिखे हुये हैं। लोकगीतों में भी साहस के किस्से हैं।
लिखी है कहानियाँ हजारों , साहस की किताबों में ।
गँवा दी जान हजारों ने , युद्ध भूमि में जवानों ने।
खेल हो या स्पर्धा कोई संग विश्वास के साहस होता है ,
बिना साहस कोई तिरंगा ..कब हवा में फहरता है।
मनोरमा जैन पाखी
मेहगाँव ,भिंड
मध्य प्रदेश