इंजी. संजय श्रीवास्तव Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid इंजी. संजय श्रीवास्तव 29 May 2024 · 1 min read बसंत बहार मेरी जिंदगी मेरा करार हो तुम जिसे टूट कर चाहा वो प्यार हो तुम बेनूर थी जिंदगी तेरे आने के पहले मेरे जीवन की बसंती बहार हो तुम थपेड़ों से... Poetry Writing Challenge-3 1 66 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 29 May 2024 · 1 min read भलाई चार दिनों के जीवन में बस स्नेह और प्रेम हमेशा बना रहे कुछ और रहे ना रहे लेकिन मेल जोल आपसी बस बना रहे जाने कितने वर्षों तक हमने बस... Poetry Writing Challenge-3 57 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 28 May 2024 · 1 min read प्रेम की अनुभूति जीवन का मेरे आगाज तुम हो जीवन का मेरे अंजाम भी तुम हो तुम हो तो जीवन रोशन है मेरा जीवन का मेरे उद्देश्य तुम हो तुम हो तो जीवन... Poetry Writing Challenge-3 49 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 28 May 2024 · 1 min read बचपन साया जब तक है मात पिता का बचपन अपना जिंदा है आशीर्वाद है बुजुर्गों का जब तक बचपन अपना जिंदा है भले उमर हो जाए पचपन बचपन कहीं नही जाने... Poetry Writing Challenge-3 57 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 28 May 2024 · 1 min read मां से प्रण जनम दिया तुमने मुझको कर्ज कभी क्या चुका पाऊंगा ये प्रण है मेरा तुझसे जीते जी साथ निभाऊंगा धरा पर आया तेरे कारण यूं ही जनम नहीं गंवाने वाला ये... Poetry Writing Challenge-3 40 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 28 May 2024 · 1 min read बहिन बहिन भी तो मां का एक स्वरूप होती है परेशानी हो गंभीर तो मां का रूप होती है अक्सर तुमने भी इसे महसूस किया होगा समझदारी में अक्सर मां से... Poetry Writing Challenge-3 39 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 28 May 2024 · 1 min read मेरा घर वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है संघर्षों से लड़कर विजयी होना स्नेह मात पिता का सिखाता है ये भाई बहन... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 27 May 2024 · 1 min read पराया धन कभी कहते हैं धन हो पराया तो कभी अमानत दूसरों की कहते हैं न जाने कैसी कैसी उपमाओं से संबोधनों की बौछार करते हैं न जाने क्या कभी झांका है... Poetry Writing Challenge-3 59 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 25 May 2024 · 1 min read अंधी दौड़ मैंने कब चाहा था मुझको दूर अपने से कर देना मैंने कब चाहा था मुझको अंधी दौड़ में ढकेल देना झूठी शान और दिखावा हमको ऐसे दोराहे पर ले आया... Poetry Writing Challenge-3 1 73 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 25 May 2024 · 1 min read बचपन आओ मिलकर फिर एक बार दिन बचपन के जीते हैं छुपम छुपाई और वही घोड़े बादाम का खेल खेलते हैं जहां कंचे, पतंग या फिर गिल्ली डंडे भी न रहे... Poetry Writing Challenge-3 92 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 24 May 2024 · 1 min read आत्मविश्वास आत्मविश्वास लक्ष्य अपना हो सामने फिर डर कैसा हाथ जब हो मात पिता का फिर डर कैसा बाधाएं और विपत्तियां आकर चली जाएंगी आत्मविश्वास मन से हो फिर डर कैसा... Poetry Writing Challenge-3 65 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 24 May 2024 · 1 min read बिखरते मोती आज फिर हरश्रृंगार ने किया सिंगार आज फिर गुलमोहर में आई बहार जिंदगी के इन थपेड़ों को सहने के लिए प्रकृति का है मानव को अनुपम उपहार जिंदगी के मायने... Poetry Writing Challenge-3 34 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 23 May 2024 · 1 min read निश्छल प्रेम अंकुर प्रेम का फूट पड़ा जब मिल बैठे दीवाने दो रस धार प्रेह की बह निकली जब मिल बैठे दीवाने दो प्रेम मंत्र से अनभिज्ञ थे दो अनजाने इस जीवन... Poetry Writing Challenge-3 50 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 20 May 2024 · 1 min read सुलह दोस्तों में भी कभी रार होती है हां उनमें अक्सर तकरार होती है मन भेद कभी होता नहीं मगर मत भेद की गुंजाइश होती है चलो फिर एक बार मिलते... Poetry Writing Challenge-3 46 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 19 May 2024 · 1 min read यथार्थ मां का प्रेम और त्याग था जिसने धरा पर तुझे लाया था पिता की उंगली पड़कर तूने एक एक कदम बढ़ाया था एक एक पल बढ़ता देख जो खुशी उन्हें... Poetry Writing Challenge-3 52 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 17 May 2024 · 1 min read पटाक्षेप अपने लहजे की छेनी से मैंने गढ़े कुछ देवता थे कल अपने लफ्जों के कौशल से सींचा था मैंने गंगा जल एक दिन अचानक वह किरदार न जाने कहां से... Poetry Writing Challenge-3 35 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 17 May 2024 · 1 min read संबंधों की तुरपाई पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से मत तोलो ये संबंधों की तुरपाई है षड्यंत्रों से मत खोलो बहुत तो तुमने खेल लिया खेल ये अपने पराए का स्नेह प्रेम... Poetry Writing Challenge-3 32 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 17 May 2024 · 1 min read कोहिनूर मिलते हैं दोस्त बचपन के नई शुरुआत होती है हर किसी के भाग्य में ऐसे हालात नहीं मिलते साथ यारों के हमेशा कुछ इस तरह मसरूफ रहे हम यार जिंदगी... Poetry Writing Challenge-3 34 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 14 May 2024 · 1 min read हस्ताक्षर मां के हाथों का हस्ताक्षर देखो कच्ची मिट्टी से गढ़ा गया हूं उनकी आंखों का तारा सुदूर पूर्व से उदित हुआ हूं न जाने कितने कष्टों को झेलकर नया किरदार... Poetry Writing Challenge-3 27 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 12 May 2024 · 1 min read उनका बचपन जीवन की संध्या बेला में बूढ़ी आंखों को आराम मिलेगा जब होगा घर परिवार सामने और नाती अंगना खेलेगा पर आज वक्त ने देखो करवट कुछ ऐसी बदली है जिम्मेदारी... Poetry Writing Challenge-3 31 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 10 May 2024 · 1 min read अरमान बड़े अरमानों से पाल-पोस कर पढ़ाया और लिखाया था काटकर पेट उन्होंने अपना निवाला तुझे खिलाया था पढ़ाने के खातिर अपना सब कुछ दांव पर लगाकर गर्व किया हरदम तुझ... Poetry Writing Challenge-3 50 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 9 May 2024 · 1 min read आस... उदित हुआ मां का एक तारा सुदूर दिशा पूर्व में हर्षित मुदित था घर ये सारा आने से उसके जग में सोलह साल बाद ब्याह के वह जगत मेंआया था... Poetry Writing Challenge-3 1 45 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 6 May 2024 · 1 min read सत्कर्म करें कर्म की ही बात हो धर्म सबको ज्ञात हो कर्म पथ पर डटे रहें राह में बढ़ते रहें चाहे घोर हो तमस हर तरफ अंधकार हो थाम कर्म का दामन... Poetry Writing Challenge-3 64 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 4 May 2024 · 1 min read अस्तित्व कितना और बदलूं खुद को जीने के लिए ए जिंदगी मुझमें थोड़ा सा मुझको भी बाकी तो रहने दे कितना और मुझको समझाएगी ए जिंदगी मुझमें थोड़ी सी नादानी बाकी... Poetry Writing Challenge-3 2 54 Share इंजी. संजय श्रीवास्तव 3 May 2024 · 2 min read आश्रम #आश्रम# जमाने के अजीबो गरीब इस चलन को मैने देखा है पैसों के पीछे भागते यहां हर शख्स को मैंने देखा है वो प्रेम वो मोहब्बत न जाने कहां खो... Poetry Writing Challenge-3 65 Share