ओसमणी साहू 'ओश' Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “सोच खा जाती हैं” निश्चिंतता का कवच चीर, ये समझ, कहां से आ जाती है, मुझे सोच मेरी ही खा जाती हैं ; मुझे सोच मेरी ही खा जाती हैं। हो किसी से जब... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 2 66 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "बात अंतस की" उमड़ते रंगों के संग, यादें धुंधली उमड़ रही है। मेरे भीतर की लड़की खुद से मिल- बिछड़ रही है। पिघलती दिल के हाथों कभी, कभी देखो अकड़ रही है। सब... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 2 57 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “बनावटी बातें” कहना हो जो कुछ भी, सीधे साफ़ - साफ़ कहो, अब तुम हमसे दुनियादारी, इसकी उसकी न कहो। साथ, समझौता, साझेदारी, जो कहो, इस मतलबपरस्ती को दोस्ती न कहो। चमक... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 59 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "विद्यार्थी जीवन" आंकड़ों के ज़माने में, किताबों के आशियाने में; स्वागत हैं। कुछ मानने – मनाने में, एक दूजे को समझाने में ; स्वागत हैं। ज्ञान संग व्यवहार से , विवेक संग... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश 1 55 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "आगाज" आलम ए तन्हाई में खोना चाहती हूं, कुछ वक्त शुकून से सोना चाहती हूं। होकर देख ली इन गैर से अपनों के, अब सिर्फ़ खुद की होना चाहती हूं।। उन... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 2 66 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "बेटी की ईच्छा" उजाडूंगी खुद स्वप्न महल भी, असल नींव रच जाने दो पापा! शादी भी हो जाएगी, बस कुछ बन जाने दो पापा।। 'पूंजी की कूंजी' और 'लक्ष्मी' भी कह दिए। उम्र... Poetry Writing Challenge-3 · Heart Touching · अल्फाज़ ए ओश · कविता · मार्मिक कविताएं 1 66 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "ख़्वाहिश" सारी दुनियां भूल जाऊं, ऐसी दुनियां सजा सके। आए कोई ऐसा, जो मेरे सिर आंखों छा सके। मेरे ख्यालों से मिलते नहीं, फरिश्ते, राजकुमार कोई। मैं चाहूं एक आम सा... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 67 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "ज्यादा हो गया" वो रोज़ - रोज़ करते, ज़रा - ज़रा ही बेवफाई, एक रोज़ हमने कर लिया तो ज्यादा हो गया। उनका दिन शुरू मयखाने से, मयखाने पर ही ख़त्म, एक ज़ाम... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 54 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “समझा करो” खड़े इकलौते नहीं तुम कतार में, हज़ारों का पीछे झूलना समझा करो। सीख रहें है भूलना, समझा करो। शॉर्ट स्कर्ट और हील हमने तो संभाल ली, उफ़ तुम जैसों का... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 48 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "पिंजरा खूबसूरती का" वो ख़ामोश लब, वो झुकी पलकें, जाने कितने जुर्म सहती है। ख़ूबसूरती उसका पिंजरा है, वो हर वक्त कैद में रहती है। शीश बदन पे उकरे ज़ख्मों पर, तन्हा मलहम... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 47 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “गोहार: आखिरी उम्मीद ” अड़ोसी-पड़ोसी, रिश्तेदार और कुछ अनजाने भी, रहन-सहन, पहनावे पे, देते सलाह और ताने भी। बिना पगार लिए लोग अपनी ये नौकरी ख़ूब बजाते हैं। मजबूत के पीछे चुगली करते, कमज़ोर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 53 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “राज़ खुशी के” जो है अभी पास उनके साथ में खुश रहो। जो चले गए हैं दूर उनके याद में खुश रहो। दिल दुखाने का ज़िम्मा तो जमाने ने ले रखा है, जैसे... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 58 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “मिजाज़-ए-ओश” टूटी, बिखरी, सिमटी, जुड़ी और उठ खड़ी हुई। अपनी बुलंद इरादों से हर हार मुहाल करती हूं। वक्त, नज़ाकत और नज़रिए, चाहें हो जैसे बदले, पर आज भी मैं सख़्त... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 41 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “मिल ही जाएगा” छेद न रहा कश्ती में तो किनारा मिल ही जाएगा। भेद न रहा अपनो में तो सहारा मिल ही जाएगा। तो क्या हुआ जो पहली दफा धोखा हुआ, ये दुनिया... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 49 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “दास्तां ज़िंदगी की” एक घाव है जो भरता नहीं, एक उम्मीद है जो मरती नहीं। एक ज़ुबां है जो कहता नहीं, एक ज़हन है जो सुनती नहीं। एक दोस्त है जो बनता नहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 42 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “ज़ायज़ नहीं लगता” ‘सब’ की चाह में ‘कुछ’ खो देना ज़ायज़ नहीं लगता। बेतुकी जिद में सब कुछ खो देना,ज़ायज़ नहीं लगता। शामिल नहीं है चंद गुल आज के बहार में, इंतजार में... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 67 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “उसकी यादें” वो अधूरी इबादतें, वो टूटी तस्बीह याद आती हैं। जब भी ख़ुद की याद आती हैं, मुझे उसकी याद आती हैं। याद आता हैं मेरा रोता चेहरा, हँसी उसकी याद... Poetry Writing Challenge-3 · Poem · अल्फाज़ ए ओश 1 47 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “दाग़” गलत चल रहा था सही से, अचानक एक हादसा हुआ। हुई मैं बेहतर रू-ब-रू, हकीकत से मेरा राब्ता हुआ। वो बदसूरती के बहाने से ख़त्म कर गया ताल्लुक़ मुझसे… दाग़... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 57 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "जिद्द- ओ- ज़हद” मैं वो पाने की ज़िद्दोज़हद में थी, जो मेरे हद से परे था। हक जताती थी जिस पर अपना, दरअसल वो मेरे हक से परे था। न जाने किसके बस... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 45 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “दोगलों की बस्ती” यूं ही न करना ऐतबार साहब ! ये दोगलों की बस्ती हैं। एक है सामने तो एक पीछे भी, यहां दूसरी सबकी हस्ती हैं। दिखाते हैं ख़्वाब हमें जो साहिल... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश 1 45 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “बहुत देखे हैं” भीतर से कसाई बाहर से हलवाई बहुत देखे हैं। सामने वाहवाही पीछे करते बुराई बहुत देखे हैं। शीशा तो दिखाता है सच मगर सदा उल्टा, साफ शीशों की ये करिश्माई... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश 1 45 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read “रफ़्तार पकड़ती ज़िंदगी” ठहरी – ठहरी सी ज़िंदगी, रफ़्तार पकड़ रही है। दुश्मन ठहराती कभी किसी को, कभी कोई यार पकड़ रही है। इसके बदलते रूप देख लगता है, कोई अईय्यार पकड़ रही... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश 1 51 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "जन्मदिन" दुनियां में आते ही आसू छलके, ये रीत निभाते हैं हर बरस। कारण - अकारण, जानें - अनजाने, ये नयन बरस जाते हैं हर बरस। उम्र मेरी देती हैं तजुर्बों... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 1 51 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "सदाकत ए जहां" कदर करने वालों की कदर नहीं होती, खबर लेने वालों की ख़बर नहीं होती। खरीदता है इंसान यहां मीलों जमीनें, दो गज से ज्यादा उनकी भी क़बर नहीं होती। कसूर... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · कविता 3 39 Share ओसमणी साहू 'ओश' 5 May 2024 · 1 min read "दुनियादारी" न चुप्पी ही सही जाती हैं, न बातें ही कही जाती हैं; दिल से गर जुड़ जाए कोई जुबां से अनबन हो जाती है। कभी कहलाती मुफट, कभी पत्थर दिल... Poetry Writing Challenge-3 · अल्फाज़ ए ओश · हिंदी कविताएं 3 62 Share