Ghanshyam Poddar Poetry Writing Challenge-3 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ghanshyam Poddar 26 May 2024 · 1 min read मई दिवस (१) उत्तरी -अक्षांश के बर्फीले देशों में मई दिवस हैं लोगो का, बासंती महीना दिन होता है जहां, मौज- मस्ती का शीतलता की जड़ता से विमुक्ति का जब देखते ही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 89 Share Ghanshyam Poddar 23 May 2024 · 1 min read हे गुरुवर ! हे गुरुवर, हे पुज्यवर, मैं श्रद्धानत हूं, आपके चरणों पर उठाओ मुझे, हृदय से लगा लो, सदा रहूं आपके उर में। मन तेरा है, तन तेरा है, सब तेरा है,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Ghanshyam Poddar 22 May 2024 · 1 min read मां ! कहां हो तुम? मां !कहां हो तुम? मेरे पास आओं, जहां हो भी तुम, मुझे प्यार करो। मां! कहां हो तुम? मेरे पास आओं, मैं बाथ रूम में हूं, मुझे साबुन से नहाओं।... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 57 Share Ghanshyam Poddar 21 May 2024 · 1 min read मेरा शहर- मुंगेर चंदन है मुंगेर की माटी कण -कण इसका महान है है सर्व -धर्म समभाव की भूमि यहां उर्वर खेत- खलिहान है। यहां गंगा की कष्टहरणी है यहां वरदानों की मां... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 77 Share Ghanshyam Poddar 21 May 2024 · 1 min read धन्य बिहार ! देश हमारा भारत प्यारा अपना राज्य बिहार है। इसकी है गौरव- गाथा भविष्य उज्ज्वल आपार है। इसकी सीमाओं को छूता उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल है। उत्तर में इसे है छूता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 54 Share Ghanshyam Poddar 20 May 2024 · 2 min read बेटी की विदाई उम्र की शाम हो गई थी, बस रात ही बांकी थी इसी आशा में कि अब कम होगी महंगाई लेकिन कब , किसी ने भी इसकी हद नहीं बताई जाने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 59 Share Ghanshyam Poddar 19 May 2024 · 1 min read लड़की को लड़ना होगा लड़की को लड़ना होगा लड़कर आगे बढ़ना होगा आए 'कसम' लेने के दिन हर लड़की को कहना होगा। बीते दिन, जब रोती थी दूध - कटोरी पाने को जो मिला... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 98 Share Ghanshyam Poddar 19 May 2024 · 1 min read नारी देह नहीं, देश है नारी देह नहीं, देश है इनका सम्मान, देश का सम्मान है इनका अपमान, देश का अपमान है इनका पिछड़ना, राष्ट्र का पिछड़ना है इनपर आघात, देश पर आघात है इनकी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 85 Share Ghanshyam Poddar 18 May 2024 · 1 min read चाय वाले कप में पानी वह अक्सर आता है, पछताता ही आता है। वह कहता: पैसे दो पैसे की अब बात नहीं है, अब तो रूपिए मिलते हैं, रोटी भी अनगिन मिलते हैं भात भी... Poetry Writing Challenge-3 64 Share Ghanshyam Poddar 16 May 2024 · 1 min read किताब किताब सिखाती है; पढ़ना , लिखना, बोलना और जीना। किताब में है: ज्ञान, विज्ञान -कला, साहित्य -संस्कृति और असीमित गणित। किताब में मिलती है:: सत्यम, शिवम, सुंदरम और तीनों में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 44 Share Ghanshyam Poddar 16 May 2024 · 2 min read शहीद का गांव चलकर गया था जो शान से, अपने कर्मक्षेत्र को, ताबूत में होकर बंद तिरंगे के साथ कंधो पे आया है। संघर्ष में होकर शहीद सहर्ष मातृभूमि की बलवेदी पर अपनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share Ghanshyam Poddar 14 May 2024 · 1 min read गंगा मां कहती है युगों -युगों से बह रही है युगों- युगों तक यह बहेगी 'मेरी शुचिता बनाकर रखो' युग -युग तक यही कहेगी। गंगा हम सबकी मां है निर्मल जल उसका तन है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Ghanshyam Poddar 13 May 2024 · 1 min read जीवन में आगे बढ़ना है जीवन में आगे बढ़ना है, आगे -आगे ही रहना है , पढ़ना है जी, पढ़ना है, सर्वदा अब्बल रहना है। विद्यालय जाने में बिलंब न करना है, जल्दी - जल्दी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 56 Share Ghanshyam Poddar 12 May 2024 · 1 min read मां के रूप जननी, जन्म-भूमि, जगत - जननी, सभी कहलाती हैं हमारी - 'मां'। जनती है, परवरिश करती हैं, अच्छे संस्कार भरती हैं - 'मां ' माटी का चंदन लगा लो वसुंधरा है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 89 Share Ghanshyam Poddar 11 May 2024 · 1 min read हुस्न छलक जाता है ........ हुस्न छलक जाता है, जब तुम अंगराई लेती हो, मदहोश हो जाता हूं, जब तुम अंगराई लेती हो। हुस्न झलक जाता है, जब तुम नहाकर आती हो, मन -मुग्ध हो... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 45 Share Ghanshyam Poddar 10 May 2024 · 2 min read सुरक्षित सभी को चलने दो चलो सुरक्षित, सुरक्षित सभी को चलने दो, चलो सुरक्षित, सुरक्षित सभी को चलने दो। जीवन अनमोल है, किसी को अलविदा न कहने दो जां बचाने के लिए, खुद को किसी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 41 Share Ghanshyam Poddar 10 May 2024 · 1 min read खुदा ! (ईश्वर) खुदा ! तू है न, तो क्यों हैं, खौफ का मंजर, बंदों से कह दो कि फेंक दे दरिया में अपने खंजर। सन्नाटा है पसरा, कोई कुछ यहां बोलता नहीं,... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 47 Share Ghanshyam Poddar 9 May 2024 · 1 min read शहर और सहर देखा शहर तुम्हारा, सहर होते कभी नहीं देखा शाख - शाख पर उल्लू को बैठा उड़ता देखा। चांदनी चौक के चौराहे पर, सफेदपोशों को भी सूरज ढलते ही अंधेरी गलियों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 51 Share Ghanshyam Poddar 9 May 2024 · 1 min read स्वर्ग से उतरी बरखा रानी स्वर्ग से उतरी बरखा रानी झम झम झम झम करती चांदी की पैजनिया पहने छम छम छम छम करती। ढोल नगाड़े पीटों भैया भर गए सब ताल तलैया ताता ताता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 1 54 Share Ghanshyam Poddar 8 May 2024 · 1 min read गरिमामय है धरती अपनी गरिमामयी है धरती अपनी इसे वसुंधरा भी कहते है यह धरती है बलिदान की फांसी चढ़े कितने ही गीत गाते हुए। शाम को कह दो अब कल फिर सूरज आयेगा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 47 Share Ghanshyam Poddar 7 May 2024 · 1 min read मतदान जागरूकता डम ! डम ! डम ! डम ! डम ! डम ! डमरू बजा बजाकर मुनादी सुनाने आया हूं जागरूकता फैलाने आया हूं. डम ! डम ! डम ! डम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 78 Share Ghanshyam Poddar 6 May 2024 · 1 min read संविधान बचाना है हम स्वाधीन हुए, हमारा नया संविधान बना भारत देश हमारा सदियों बाद स्वतंत्र बना हम संप्रभु हुए, जन जन का लोकतंत्र बना आत्मर्पित -अंगीकार कर, सम्मान करते हैं। हमारा संविधान... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Ghanshyam Poddar 6 May 2024 · 1 min read *मोबाइल* तुम भी चुप हो मैं भी चुप हूं, तुम गुम हो कहीं मैं भी गुम हूं। पहले तुम बोलो, पहले तुम मुंह खोलो, अपनापन का रिश्ता है बेगाना- सा लगता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 49 Share Ghanshyam Poddar 5 May 2024 · 1 min read नारी भारत की मैं नारी हूं मैं तो नहीं अनाड़ी हूं समझती हूं बाते सारी पहनती मैं साड़ी हूं। पापा की दुलारी हूं मैं मम्मी की गुड़िया हूं मैं भैया की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 1 44 Share Ghanshyam Poddar 4 May 2024 · 1 min read आठवीं वर्षगांठ *आओ मिलकर आज मनाएं 'साहित्य पीडिया' का जन्म दिन आठवीं बार आया है शुभ दिन शताब्दी वर्ष भी इसकी मनाएं। केक काटे, मोमबत्ती जलाएं खुश होकर ताली भी बजाएं अखंड... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 62 Share