विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ Poetry Writing Challenge-2 52 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read हरि द्वार अस्सी बरस की बुधिया, चारपाई पर रजाई से झांकती, रह-रह कर खांसती, आज जमकर पाला पड़ा है, जाड़ा मुंह बाए खड़ा है। सफेद हो गई खड़ी कोंपलें टपक रहे खगों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 80 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read मेरे हिस्से की धूप सर्द-सर्द रातें हुई, सर्द-सर्द हुए दिन। मिहिका भरमा रही, अब तो हर एक छिन। दिनकर भी ओझल हुए, दिखते अपराह्न बाद। शीत पवन करती फिरे, सबसे वाद-प्रतिवाद। शीतलता कंपा रही,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 101 Share Previous Page 2