सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 184 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए हुं मैं एक कवि बस इतना सा ही जानिए मैं लिखुंगा किसी के अन्तर्मन की वेदना मैं लिखुंगा किसी के मौन की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 143 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read कुछ लोग शहर के बीचों बीच तंग गलियारों में रहते हैं कुछ लोग दिखने में लोगों जैसे पर लोगों से परे है कुछ लोग सिटी में सटी सटी सी बस्तियों में रहते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 157 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मृत्यु शैय्या मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे सोचो क्या क्या जी जाओगे चार उम्रो के लेखे होंगे शैय्या पर भी अकेले होंगे जीवन क्षण में क्षरण मृत्यु का वरण होगा सांसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जीवन दर्शन 159 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 2 175 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा जंगल कटेगा तो कुछ दिखाई नहीं देगा कहां से लाओगे गीत नदियों के जब झरना ही सुनाई ना देगा आधुनिकता की इस दौड़ में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 220 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है आदि काल से आधुनिक काल तक हम आ तो गये चकमक के पत्थर से चल कर मिसाइलों तक आ तो गये जंगल जिसमें बिताया करते थे जीवन उस जंगल का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 202 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र आधुनिकता की दौड़ में जिंदगी को कर के शामिल मैं दौड़ता रहा दौड़ता रहा तमाम उम्र सपनो को पूरा करने जिद पर अड़ा रहा मैं तमाम उम्र घर , परिवार,यार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 158 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे आधुनिकता के इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे बारिश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 170 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 207 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए खूद से एक मुक्कमल मुलाकात कीजिए राहें ज़िन्दगी में नजारे है बहुत नज़रें उठाईं कुछ गुनगुनाइए सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सर्द हवाओं का मौसम थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 132 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 156 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नौका को सिन्धु में उतारो नौका को सिन्धु में उतारो किनारों से दूर करो जानना है यदि खुद को तो खुद के निर्णय पर विश्वास करो तुम ऊर्जा के पूंज हो तुम ही आभा सूर्य... Poetry Writing Challenge-2 · Motivation · कविता 144 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Feb 2024 · 1 min read अन्तर्मन की विषम वेदना तुम घर आ ना पाओगे जब कदम तुम्हारे बढ़ेंगे मंजिल को पाने को सपने को सच कर जाने को तुम घर आ ना पाओगे जब जिम्मेदारी का बोझ उठाओगे जब... Poetry Writing Challenge-2 · लघु कथा 208 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Feb 2024 · 1 min read चिरैया पूछेंगी एक दिन चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका बड़ी ही मेहनत से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 219 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 143 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read है कौन वहां शिखर पर है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है तुम में है कुछ बात वो ही वहां से बतला रहा है जानो खुद को पहचानो खुद को कह रहा... Poetry Writing Challenge-2 · Life · कविता 165 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read किसी नदी के मुहाने पर किसी नदी के मुहाने पर जाना जब सब कुछ हाथ से छूट रहा हो कुछ भी समझ ना आ रहा हो समय का बन्द फिसलता जा रहा हो तब किसी... Poetry Writing Challenge-2 · Love · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 128 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हे कौन वहां अन्तश्चेतना में हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन हो कर देखता जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन ओर युवा अवस्था तुम्हारे विचलन और मौन को देखता हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 1 107 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 147 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नव सृजन के गीत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 130 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 143 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 22 Jan 2024 · 1 min read मैं अपने अधरों को मौन करूं मैं अपने अधरों को मौन करूं तुम मेरे नैनों से बात करो छोड़ो शब्दों का ये ताना बाना तुम नैनो से नैनो की बात करो एहसासों के सागर में से... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 1 115 Share