Pallavi Mishra Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pallavi Mishra 20 Feb 2024 · 1 min read *आज़ादी का अमृत महोत्सव* भारत माँ की शान तिरंगा, इस मिट्टी की आन तिरंगा, घर-घर में हम फहराएंगे सबका है अभिमान तिरंगा। वीरों का जयगान तिरंगा, तेरा मेरा मान तिरंगा, आज़ादी के इस उत्सव... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 103 Share Pallavi Mishra 19 Feb 2024 · 1 min read *राम का आगमन* नाचे मन का मोर मगन, झूमे धरती और गगन; अवधपुरी में होगा आज सियाराम का आगमन। वो भक्तजनों के प्यारे हैं, वो सभी देव में न्यारे हैं, केवट उनको पार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 3 82 Share Pallavi Mishra 19 Feb 2024 · 2 min read *राममंदिर का भूमिपूजन* अवधपुरी में रौनकें हैं रामलला का घर बनेगा - विश्व में जो अलौकिक होगा ऐसा भव्य मंदिर बनेगा - दीपों से धरती सजेगी तारों से अम्बर सजेगा - मंदिर तक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 105 Share Pallavi Mishra 19 Feb 2024 · 1 min read *परिभाषाएँ* प्रेम -- एक छलावा है, स्व अहं की पुष्टि है, समर्पण का दिखावा है । भावना -- एक सुसुप्त सहचरी है, भौतिकता के निष्ठुर प्रहार से सहमी है, डरी-डरी है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 84 Share Pallavi Mishra 13 Feb 2024 · 1 min read *तजुर्बा* दिलों से ईर्ष्या, द्वेष, नफ़रत, हटा कर तो देखो - ज़िन्दगी का हर लम्हा खूबसूरत है, मेरे तजुर्बे को कभी आज़मा कर तो देखो - जियो तो ऐसे, जैसे -... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 160 Share Pallavi Mishra 13 Feb 2024 · 1 min read *आख़िर कब तक?* जिस देश में पूजा होती है माँ शारदे, दुर्गे, लक्ष्मी की - उस देश की बालाएँ क्यूँ रहती सहमी सहमी सी - नन्हीं बालिका हो, किशोरी, नवयौवना हो या हो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 98 Share Pallavi Mishra 13 Feb 2024 · 2 min read *यक्ष प्रश्न* दरिंदगी की हो गई है पराकाष्ठा - हर रोज़ हो रहा है, दिल दहला देने वाला कोई न कोई हादसा - इंसानों के वेश में नर-पिशाच हैं घूम रहे -... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 98 Share Pallavi Mishra 13 Feb 2024 · 2 min read *दिल्ली* दिल्ली की रफ़्तार देख लो - इसकी सर्पिल सड़कों पर दौड़ती-फिरती मेट्रो, बाइक, कार देख लो - सबके सब यहाँ जल्दी में हैं, न जाने कहाँ है मंज़िल सबकी? -... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 81 Share Pallavi Mishra 11 Feb 2024 · 1 min read *वक़्त का एहसान* क्या आपने कभी किसी की आँखों को बिना आँसुओं के रोते देखा है? किसी टूटे हुए दिल को बिना किसी उम्मीद के, उम्मीदों को ढोते देखा है? बाहर से शांत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share Pallavi Mishra 11 Feb 2024 · 1 min read *चक्रव्यूह* जिंदगी में कितना कुछ अप्रत्याशित घट जाता है – शायद ही हम इंसानों को कुदरत द्वारा संचालित इन घटनाओं का कोई मतलब, कोई मकसद, समझ में आता है – कई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 139 Share Pallavi Mishra 11 Feb 2024 · 1 min read *निर्झर* कभी पर्वत की चोटी पर इकट्ठा हुआ जल का एक विशाल स्रोत था - जब तक था रुका हुआ ऊर्जा से ओतप्रोत था - फिर उसने बहाना शुरू किया और... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 137 Share Pallavi Mishra 11 Feb 2024 · 1 min read *शिखर का सफर* मैं एक पहिया हूँ पथरीले सड़क को रौंदता हुआ - चला जा रहा हूँ उछलता हुआ, कूदता हुआ - रास्ते में हैं अवरोध भी - आसपास के लोगों का सह... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 114 Share Pallavi Mishra 11 Feb 2024 · 2 min read *पितृ-दिवस* पिता होते हैं परिवार की धूरी - जिनके बिना रहती है बच्चों की दुनिया अधूरी - यह सच है मां अतुल्य कष्ट सहकर संतान को जन्म देती है लेकिन हम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 105 Share Pallavi Mishra 7 Feb 2024 · 2 min read *धरती माँ* हमारी प्यारी धरती माँ जिसने हमें दौड़ने को अपनी हथेली दी - जिसने हमारी हर तरह से परवरिश की - हमें पाला, पोसा, बड़ा किया - जीवन के झंझावातों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 122 Share Pallavi Mishra 7 Feb 2024 · 1 min read *आत्ममंथन* यह कैसी वेदना है? - ह्रदय के अंतर्तम में प्रकृति के प्रहार से प्रभावित संपूर्ण मानव समुदाय के लिए एक अव्यक्त संवेदना है - मत कह इसे प्रकृति की निष्ठुरता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 78 Share Pallavi Mishra 7 Feb 2024 · 1 min read *विरोधाभास* जिसने जन-कल्याण किया, जिसने खुलकर दान दिया, वह अपना सबकुछ खो सकता है, कलियुग में यह भी हो सकता है। जिसने भूखे को खिलाया, जिसने नंगे को पहनाया, वह खुद... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 96 Share Pallavi Mishra 7 Feb 2024 · 1 min read *दृष्टिकोण* माना मेरी ज़िन्दगी तुम्हारे बिन अधूरी है, मगर तुम्हारी भी हो, यह तो नहीं जरूरी है ; तुम पुरुष हो, अपने अस्तित्व की सार्थकता तलाश लेते हो समाज में –... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 94 Share Pallavi Mishra 6 Feb 2024 · 1 min read *विषमता* तुम आसमाँ के हो परिंदे, मैं रहगुज़र की धूल हूँ, उड़ना तो है दोनों की फ़ितरत - मगर कितनी है अलग दोनों की क़िस्मत – एक को सितारे तलक उड़ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 66 Share Pallavi Mishra 6 Feb 2024 · 1 min read *ज़िन्दगी* ज़िन्दगी...! अनसुनी सी कोई दास्तान है – भरोसा नहीं कि कोई इसे आखिर तक सुना पाएगा या कैनवास पर उकेरा हुआ – चित्र है अधूरा सा – जिसे कोई कभी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share Pallavi Mishra 2 Feb 2024 · 1 min read *कालचक्र* अतीत ! जो गया है बीत - न खुद को दुहरा सकता है, न अपना अस्तित्व ही मिटा सकता है कुछ मीठे पलों की स्मृतियाँ - जीवनभर लुभाएँगी - कुछ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share Pallavi Mishra 2 Feb 2024 · 1 min read *कलियुग* सच्चाई की जीत और झूठ की हार - कलियुग में हो गयी है यह उक्ति बेकार - भलाई इसी में है कि हम सब कर लें अब इस तथ्य को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 225 Share Pallavi Mishra 1 Feb 2024 · 2 min read *विडंबना* उसे फूल तो पसंद है, बागवाँ पसंद नहीं; उसे खुशबू तो लुभाए है, बाद-ए-सबा पसंद नहीं । वो जो फूल है आज, कली थी कल – माली ने सींचा संभल-संभल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 102 Share Pallavi Mishra 1 Feb 2024 · 2 min read *अजन्मी बेटी की गुहार* जीने का अधिकार मुझे दे..... ओ मेरी मैया, सुन मेरी मैया, बस थोड़ा सा प्यार मुझे दे..... माटी से और रंगों से ईश्वर मुझको बना रहा है ; तू भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 96 Share Pallavi Mishra 31 Jan 2024 · 1 min read *बचपन* बचपन ....! था कितना निष्पाप, कितना निष्कलंक, कितना स्वतंत्र, न चिंता थी न फिक्र – बस किस्से राजकुमारी के और परियों का था जिक्र – कुछ रंग-बिरंगी सीपियाँ – कुछ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share Pallavi Mishra 29 Jan 2024 · 1 min read *पहचान* अपनी पहचान ढूँढ रही हूँ मैं क्या आईने में जो प्रतिबिम्ब नजर आता है वही मेरी पहचान है ? या मेरे ह्रदय में जो उठ रहा भावनाओं का तूफान है,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 99 Share