भूरचन्द जयपाल Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * डार्लिग आई लव यू * कल रात मैं चैन से सोया था अचानक खटिया हिलने लगी मैंने सोचा भूकम्प आ गया… मगर आँखे खोली तो देखा….. मेरी बीबी मुझ अदने से आदमी पर….. चढ़ाई कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * क्या मुहब्बत है ? * क्या मुहब्बत है ? कभी हमने तुमसे की कभी तुमने हमसे की ना जाने कब प्यार के सागर में ज्वार आया और क्रोधरूपी हलाहल निकला ……….. मैं शिव तो नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 57 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बचपन * गांव बचपन का भला या गांव का बचपन भला कौन जाने कब -कब किस ने किसको नहीं *** छला खेलते थे जब उछलकर पेड़ की डाली से हम बन्दरों को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 57 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * भीम लक्ष्य ** भीम लक्ष्य था उस महा मानव का जिसने झेली तिरस्कार-पीड़ाएं और खोया अपनों को मानवहित खातिर हम आज किये हैं वाद अपने हित।। मित सीमित है स्वार्थ आज अपने विश्व... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * तेरी आँखें * आज भी मेरे अक्स को संभाले है ये तेरी आँखें देख शीशे में अपनी आँखों में आंखे डालकर नज़र आयेगी तुम्हारी आँखों में हमारी आँखें जिस्म की दूरियां भी नजदीकियां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बस एक तेरी ही कमी है * अब मैं अपनी बर्बादियों से क्या कहूं वो आबाद रही जीवनभर मैं भागता रहा जीवनभर और सलीका मुझे जीने का कब था मैं यूंही राहे-जिंदगी में आ गया वो मुझको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 37 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * फर्क दिलों-जिस्म में हो ना * ** फ़िजा में आज घुली है जमाने-भर की आबे-बू कुछ क्षण गुस्ल कर लूं प्यार की बारिश में यूं।। खुदा की खुदाई आये मेरे आँचल में चुपके से मुझे ना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * रात्रि के बाद सुबह जरूर होती है * निशा आती है दिनभर की थकान के बाद अँधेरा धीरे धीरे घना होता जाता है पर फिर भी थके हारे श्रमिक के मन को भाती है क्योकि वह दिनभर की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * मुस्कुराते हैं हम हमी पर * मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां पर आज भी हैं हम जमीं पर कल क्या हो सरजमीं पर।। मुस्कुराते हैं हम हमी पर कभी थे हम आसमां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * आख़िर भय क्यों ? * मौत के तांडव से आख़िर भय क्यों ? जिंदा इंसान कब था मरे से भय क्यों ? क्या मौत आने से ही मरता इंसान ? फिर आज ग़म-ग़मगीन इंसान क्यों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 59 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * बडा भला आदमी था * काफिला चला जा रहा था मै उसके संग चलने की कोशिश कर रहा था वो बढ़ता ही जा रहा था मुझे पीछे छोड़ते हुए किसी एक ने भी पीछे मुड़कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * सागर किनारे * सागर किनारे खड़ी इक नदी सदी से इंतज़ार कर रही है मिलन हो ना पाया सागर से अब तक मैं तड़पूंगी कब तक अब सागर किनारे उठती है लहरे हिय-सागर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 35 Share भूरचन्द जयपाल 19 Feb 2024 · 1 min read * अरुणोदय * मेट स्याह रातों की कालिख रवि उदित होता देखो कवि-हृदय- प्रकाश देखो रश्मिरथी सूरज को देखो धीरे-धीरे आता है वह सागर के तट से उबर- उबर कर किरणें फैलाता अपनी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 34 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** मैं शब्द-शिल्पी हूं ** मैं शब्द-शिल्पी हूंउ शब्दो को जोड़ता हूं मैं विध्वंसक नहीं जो दिलों को तोड़ता है /हूं फिर भी लोग मुझे इल्ज़ाम दिये जातें हैं मैं मोम-सा कोमल पत्थर किये जाते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 52 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *. ईश्वर वही है * ईश्वर वही है जिसे हमने बनाया ईश्वर ने हमें नहीं बनाया क्योकि हमीं अपना ईश्वर तय करते हैं उसका रूप रंग आकृति सब कुछ लेकिन फिर भी वह हम पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 40 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मैं अभिमन्यु * हर रोज चक्रव्यूह भेद निकलता हूं हर रोज महाभारत भेद निकलता हूं मैं अभिमन्यु सीखा नहीं माँ के उदर में ना खेद परिस्थितियां -पाशविक सिखलाती है मैं अभिमन्यु ना मैदान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 59 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ** हूं रूख मरुधरा रो ** हूं रूख मरुधरा रो केर नाम है म्हारो विषम सूं विषम टेम में भी मैं ऊभो रहूं ***** अकास म्हारी ओर देखे है टुकुर-टुकुर अर सोचे मन में ओ बिरखा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 50 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read *होंश खोकर जिंदगी कभी अपनी नहीं होती* मत कर खत्म जिंदगी की महक महखाने में जाकर लौट कर जब तलक आयेगा चूमेंगे तुम्हारा वदन गली के सब श्वान मिलकर महक का आभास लेंगे गिरकर गली के उस... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 42 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * एक ओर अम्बेडकर की आवश्यकता * एक ऐसा शख़्स जो अभावो में पला यह नहीं कह सकते हम क्योंकि वह अभावों को ठेलता हुआ आगे निकला वक्त का सीना चीरते समाज-ए-चिराग सा वक्त के सघन अँधेरे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 64 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * यह टूटती शाखाऐं है * *** यह उस पेड़ की टूटती हुई शाखाऐं है वृद्ध हो चुका है वह जीर्ण हो चुका है यह शाखाऐं छोड़ती हुई नज़र आती है उसे अपने में समाये रखने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 45 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 2 min read * ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? * ** ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है हम आज ख़ुद-ब-खुद छले जा रहे हैं पाते संस्कार शाला-परिवार पा रहे हैं सुसंस्कार – कारखाने कहां जा रहे हैं।। *****... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 54 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * शब्दों की क्या औक़ात ? * शब्दों की क्या औकात वक्त बोलता है वक्त का मारा कहां-कहां नहीं डोलता है आदमी जुबां कब खोलता है बेचारा नपा-तुला ही बोलता है ।। वक्त मज़बूत कर देता आदमी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 49 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * चतु-रंग झंडे में है * चतु-रंग झंडे में है तीन जिसमें अहम चौथा रंग रहा गौण इनको बड़ा अहम विकास-चक्र चलता वह नील- रंग है रंगों-रंग पिसता-घिसता नील है अहम।। वह अशोक-चक्र सबका का करता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 48 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read ऐ पत्नी ! ऐ पत्नी ! तुम अज़ब ग़ज़ब हो रहता पास जब मैं तेरे तो, तुम ज़ुल्म ढहाती हो जुबां से तुम कनफोड़वा-सी कान फोड़ती ।। ऐ पत्नी ! तुम ग़ज़ब ढहाती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 64 Share भूरचन्द जयपाल 18 Feb 2024 · 1 min read * मेरी पत्नी * मेरी पत्नी आज-कल बहुत पढ़ती है मन ही मन बहुत कुछ,कुछ गढ़ती है नाख़ुश जो आजकल मुझसे रहती है कविता मेरी ही रटरट बहुत पढ़ती है।। गढ़ती है मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 62 Share