देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' Poetry Writing Challenge-2 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read बेबसी न काटें बिछे थे न कोई फूल खिला था जिस राह पे चला अकेला ही चला था। जब भी मिला धूप का मंजर हसीं कोई उस रोज बहुत जल्दी सूरज... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read नाकाम दुनिया की नजर मे भले नाकाम कहलाऊंगा टूटे हुए दिलों के पर काम तो आऊँगा। खिला न सकूँ कोई गुल तो क्या हुआ गुलशन ए बहार का पैगाम तो लाऊँगा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 138 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read दीवाना किसी हसरत की तू मंज़िल कोई तेरा दीवाना है मगर खामोश वो है कि मोहब्बत का फ़साना है। हिज़्र के साज़ पर हर पल मिलन के गीत गाता है जहां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 69 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read फ़ासले पल नजदीकियों के बेखबर से हो गए फ़ासलें दरमियां के हमसफ़र से हो गए। आँखों ने कुछ कहा, कुछ कहा जुबां ने हम किसी खामोश बूढ़े शज़र से हो गए।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 128 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read अब ऐसे दस्तूर हुए हैं हम तुम यूँ मजबूर हुए हैं देखो कितने दूर हुए हैं। आँखों तक आने से पहले ख़्वाब चकनाचूर हुए है। ख्वाहिशों ने गुनाह बक्शे वरना सब बेक़सूर हुए हैं। जल्दी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 66 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read कोई गज़ल गा दीजिए दर्द से दर्द की दवा कीजिये हम है बैठे ग़जल कोई गा दीजिये। एक नन्हा दिया जल रहा है कहीं साथ जलकर उसे हौसला दीजिये। फासलों ने दिए जख्म है,दर्द... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read भीतर तू निहारा कर अपनी अपनी जिद से पल भर को किनारा कर मुमकिन है कि बन जाये फिर से बात दोबारा कर। मुझको कोई चीज़ समझ न तेरा हूँ तो तेरा ही हूँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 61 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया मेरा पता पूछ कर कहीं और चला गया। आंखों का अश्कों का न दिल का कसूर था ख़त में लिखा था जो वो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 135 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read इक मेरे रहने से क्या होता है इक मेरे रहने से क्या होता है तेरे बिन खाली मकां होता है । जो कह न सके हिम्मत से सच मेरी नजर में वो बेजुबां होता है । जंग... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read यूँ मिला किसी अजनबी से नही हौंसला है अगर वक़्त भी साथ है मुश्किलें हैं बड़ी आदमी से नही है दिया जल रहा रोशनी के लिए कोई चाहत उसकी किसी से नही फूल चुनकर लिए आ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 91 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read यकीं तुमने मोहब्बत पर जो दिल से किया होता कहीं कुछ भी नही है जो तुम्हारी जद के बाहर है यकीं तुमने मोहब्बत पर जो दिल से किया होता नजर जाती जहां तक बस दरख्तों की कतारें थी मुझे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा बदल गया तू अब वैसा नही रहा जरूरत थी सामने बाजार भी था मजबूर था जेब मे पैसा नही रहा वो चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 44 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read सितम गुलों का न झेला जाएगा अभी तो ये खेल खेला जाएगा तुम्हारे पीछे सारा मेला जाएगा खुश है वो शख्स महफिले यार में देखना शहर से अकेला जाएगा मंजिल की ओर बढ़ चौकन्ना रह दर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 119 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read तुम साथ थे तो संभल गया मेरा वहां होना उसे खल गया वो बिना आग के ही जल गया मैं तो वैसा ही रहा जैसा था ये तो वक़्त है जो बदल गया ठोकरें बहुत थी... Poetry Writing Challenge-2 60 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read जिंदा रहना सीख लिया है दुख के सागर की लहरों से डटकर लड़ना सीख लिया है तेरे सहारे फिर से मैंने कोशिश करना सीख लिया है। जीने मरने की कसमों की नही रही परवाह कोई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 128 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read ग़म का दरिया गम का दरिया धीरे धीरे नस नस मे उतार रहा हूँ तुमसे तो मै हारा ही था खुद से भी अब हार रहा हूँ । लम्हा लम्हा वाकिफ है उन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 52 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read कुछ रिश्ते वर्षों गुजर जाते हैं कुछ रिश्ते बनाने में मौसम बदल जाते हैं उनके करीब आने में किस्मत से ये रिश्ते बन भी जाएं तो यारों आशियाने उजड़ जाते हैं इनको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 100 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read सख्त लगता है वो बूढ़ा है बहुत नाजुक फिर भी सख्त लगता है पराये घर को अपनाने में काफी वक़्त लगता है। जिसे देखो वही मेरी मोहब्बत पे नजर रखता है लबों से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे सारी रस्मे जहां की निभा जाओगे मैं अकेला तुम्हे याद करता रहूंगा मुझसे मिलने कभी तुम आ जाओगे। पहले जैसा नही तुम पे अधिकार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 60 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read अंजाम मुझे ग़म है नही कुछ भी मुझे चिंता तुम्हारी है गुनाहों के सफर में जो जिंदगी तुमने गुजारी है। उसे शिकवा नही कोई क़हर जिस पर तुम्हारा था मगर मैं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 108 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां झूठ का दौर है झूठा हर ठौर है मेरे सच को ठिकाना मिलेगा कहां जब तलक तेरे दिल मे हूँ महफूज़ हूँ तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां। धूप जलती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 2 min read जिंदगी की तन्हाइयों मे उदास हो रहा था(हास्य कविता) जिंदगी की तन्हाइयों मे उदास हो रहा था मैखाने मे बैठा देवदास हो रहा था याद आ रहे थे कुछ बीते हुए पल जिन्होने मचाई थी जीवन मे हल-चल कॉलेज... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 70 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read तुम जो मिले तो तुम जो मिले तो तुझमें ख़ुद को पाने की इक कोशिश की है। भूल गया मैं ख़ुद को जाने क्या पाने की ख़्वाहिश की है। मेरी खुशी को मैं तरसूँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 96 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 14 Feb 2024 · 1 min read कितनी राहें एक मोड़ पर कितनी राहें एक दृष्टि में दृश्य हजारों किधर चलें और किसको देखें किसकी ओर फैलाये बाहें। मेरे अंतस की चाह समझ जो दिव्य दृष्टि दे जाता है।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 5 Feb 2024 · 1 min read मुस्कुराहटें मुस्कुराहटें प्रिय हैं मुझे और उससे भी अधिक प्रिय है मुस्कुराते हुए लोग। जब भी ढूंढ़ने निकलता हूँ अपनी मुस्कुराहट का स्रोत तो कुछ मिलता नही है मिलती हैं तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 89 Share