आशा शैली Poetry Writing Challenge-2 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read कविता बस ऐसी होती है कैसा प्रश्न है यह कहो- ‘यह कविता क्या होती है?’ क्या बतलाऊँ तुमको क्या होती-कैसी होती है कविता तो अजस्र बहती रस की धारा होती है तट पर खड़े बटोही... Poetry Writing Challenge-2 2 106 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read फूल हर बार आता है वसंत गर्मी, वर्षा, पतझड़ और फिर वसंत अपने नियम से बगिया में हर बार खिलते हैं रंग-बिरंगे फूल और कर देते हैं बदरंग जीवन को रंगदार... Poetry Writing Challenge-2 1 95 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read भूल गए हैं मेरे आँगन की मुंडेर पर चिड़ियों के दल बादल बन-बन चुगना दाना भूल गए हैं तेरे जाने की सुनकर ज्यों मेरे नयन बाँवरे पलकों को झपकाना भूल गए हैं बहुत... Poetry Writing Challenge-2 2 90 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read सागर का क्षितिज सागर के जल का रंग मेरे पैरों के पास मटमैला गंदला है थोड़ी सी दूरी पर कुछ उजला फिर दृष्टि सीमा तक धीरे-धीरे गहराता हरा फिर एकदम एक श्याम-रेखा उसे... Poetry Writing Challenge-2 82 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read सुनहरा सूरज उस दिन सुबह का सुनहरा सूरज मीलों तक फैली सिंघाड़े की क्यारियों पर सोना बिखेरता भाग रहा था भागती रेल के साथ-साथ कभी छुप जाता गंदले जल के तल में... Poetry Writing Challenge-2 100 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति और पुरुष सृष्टि के आदि काल से बने हैं हम-तुम यानि मैं प्रकृति और तुम आदिपुरुष इक दूजे के लिए यही सृष्टि का नियम है तुम्हारे बिना मैं और मेरे बिना तुम... Poetry Writing Challenge-2 127 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read दो किनारे हम-तुम बिछड़े थे जहाँ, नदी की धारा ठीक आधी-आधी बंट गई थी वहीं से एक दूसरे से ठीक विपरीत अपने-अपने जल से दोनों किनारों को सींचती दोनों धाराएँ दूर तक... Poetry Writing Challenge-2 87 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read मौसम बहार का स्वागत तो सब करते हैं पतझड़ का स्वागत कौन करेगा सिवाय मेरे? पतझड़ में तो सेब के ठूँठ वृक्षों पर एक भी पत्ता नहीं रहता पौष-माघ के भयानक... Poetry Writing Challenge-2 105 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read चेतावनी वर्षा-पानी के अभाव में टुकड़े-टुकड़े होती धरती क्षितिज तक रोती-बिलखती अपना फटा कलेजा दिखाती है मानव को कभी अति वर्षा से बह जाती है पहाड़ों की उपजाऊ मिट्टी भी और... Poetry Writing Challenge-2 114 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read रंग निःसंदेह भारत का गौरव है हमारा तिरंगा परन्तु इसमें संयोजित रंग जिसकी भी बुद्धि की उपज हैं उसके लिए साधुवाद कहना आवश्यक है अनिवार्य है रंगों का संयोजन किया है... Poetry Writing Challenge-2 88 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read मज़दूर सच कहा आपने मैं मज़दूर हूँ पर मजबूर नहीं बहुत मज़बूत हैं मेरे कंधे सँभाल सकते हैं दर्द का भारी बोझ तभी तो ढोती हूँ दिन-रात शब्दों की ईंटें उन्हें... Poetry Writing Challenge-2 1 75 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read स्वागत है भानु! प्राची दिशा की ओर से धीरे-धीरे क्षितिज की कोर से उठा रहा है ऊँचा सर अपना आश्चर्य से देख रहा है धरती पर पसरे अँधेरे को हो रहा है... Poetry Writing Challenge-2 62 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read आम का वृक्ष देख रही थी मैं कई दिन से सामने वाले खेत की हरियाली सिमट गई थी ईंट की चारदीवारी के भीतर पर थी तो सही कभी-कभी आती थी एक औरत और... Poetry Writing Challenge-2 139 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read रोक लें महाभारत जानती हूँ हाँ-हाँ! जानती हूँ किसने दिया था शाप सगर के पुत्रों को जानना चाहते हो तो जान लो उन्हें शापित किया था सत्ता के अहंकार ने दम्भ ने और... Poetry Writing Challenge-2 1 2 70 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read पागल हूँ न? हाँ! मैं पागल हूँ क्योंकि मुझमें हिम्मत है सच बोलने की कह सकती हूँ मैं नहीं बनाना मुझे कोई विश्व कीर्तिमान आदर्श नारी का रात को रात और दिन को... Poetry Writing Challenge-2 92 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read माहिए बागों में बहारें हैं बिरह दुपहरी में तेरी याद फुहारें हैं सावन में आ जाना हरियाली बनकर मेरे मन पर छः जाना यह प्रीत दीवानी है विरह मिलन साजन सारे... Poetry Writing Challenge-2 90 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 4 min read एक और द्रोपदी यु( क्षेत्र में गान्धारी नन्दन की, क्षत-विक्षत काया। देख वीर दुर्योधन की पत्नी का मन भर-भर आया।। भू लुंठित तन, रक्त से लथपथ, अर्ध मूर्छित, शस्त्र विहीन। हाहाकार किया मन... Poetry Writing Challenge-2 1 2 113 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read नीड़ तुम्हें भी तो चाहिए कोरे पन्ने पर डायरी के कुछ लिख डालो न भले ही तुम एक एक शब्द बोलो मैं स्वयं वाक्य बना लूँगी तुम एक एक काँटा बिखेरो मैं उन्हीं को चुनकर... Poetry Writing Challenge-2 72 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read विवशता सम्पादक महोदय ने सुझाया रचना की धार छुरी की तरह सान पर चढ़ा कर पत्थर पर घिस कर पैनी, और पैनी, और पैनी करो इतनी पैनी तीखी और धारदार कि... Poetry Writing Challenge-2 1 51 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read विवशता सम्पादक महोदय ने सुझाया रचना की धार छुरी की तरह सान पर चढ़ा कर पत्थर पर घिस कर पैनी, और पैनी, और पैनी करो इतनी पैनी तीखी और धारदार कि... Poetry Writing Challenge-2 56 Share आशा शैली 7 Feb 2024 · 1 min read खुरदरे हाथ मेरे आँगन में उग आया एक नन्हा-सा पौधा बड़ी नाजुक कोंपलों वाला कच्चे-कच्चे हरे रंग की छोटी-छोटी पत्तियों वाला उसकी जड़ों में उगी घास को उखाड़ते मेरे हाथ छिल-छिल जाते... Poetry Writing Challenge-2 52 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read विडम्बना कैसी विडम्बना है कि जब हम पीड़ा से छटपटाते हैं बिलबिलाते हैं तो रोकर, तड़पकर, दया के लिए अज्ञात के आगे फैलाते हैं झोली तब हम बन जाते हैं एकदम... Poetry Writing Challenge-2 81 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read छलावा क्या कहूँ किसने छला तुमने? या मेरे अपने मन ने? चाहतों ने? ख्वाहिशों ने? कौन था आखिर छलावा? कोर मेरे नयन की उस वक्त जाने क्यों हुई नम जब मुझे... Poetry Writing Challenge-2 75 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read जीवन समर है ये धरा का स्वर्ग था, कश्मीर है यह पर नहीं यह स्वर्ग कैसा? आज देखा मेरी आँखों ने इसे कश्मीर है उजड़ी हैं केसर क्यारियाँ घिर रहा चहुँ ओर जीवन... Poetry Writing Challenge-2 107 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read सु धिकी सुगन्ध मेरे तापस! मेरे योगी! कई युगों के बाद कहीं से मुझे तुम्हारी सुगन्ध आई आँखें छलकीं, मन भीगा यादों की पँखुड़ियाँ ले सुधि की तितली ओस में खूब नहाई मेरे... Poetry Writing Challenge-2 70 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read नर्गिस पौष महीने में कड़कती सर्दी में पत्थरों को चीर कर खेतों की मुंडेर पर अरी ओ नर्गिस! तुम कहाँ से आ गईं? मेरा बाग़ महक उठा है सारा का सारा... Poetry Writing Challenge-2 43 Share आशा शैली 27 Jan 2024 · 1 min read कृष्ण थक गए हैं सत्ता की गांधारी ने जब-जब खोली है अपनी आँखों पर बंधी पट्टी तब-तब हो गए हैं कई दुर्योधन वज्रदेह किन्तु अधोवस्त्रों से ढंका उनका दुष्कर्म बन गया उन्हीं के विनाश... Poetry Writing Challenge-2 48 Share