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वक्त गिरवी सा पड़ा है जिंदगी ( नवगीत)
Rakmish Sultanpuri
पैसों के छाँव तले रोता है न्याय यहां (नवगीत)
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राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
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द्वंद अनेकों पलते देखे (नवगीत)
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आज गरीबी की चौखट पर (नवगीत)
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हूं नही कवि व्यर्थ अपनी लेखनी (नवगीत?
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निर्भय सोती रही जिंदगी (नवगीत)
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आदमी की क्रूरता में कौन सा रस है(नवगीत?
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कंटकों के मार्ग पे चल (नवगीत)
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अनुमानों पर जीवन शैली (नवगीत)
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जिन लोगों ने दर्द (नवगीत)
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लाद ले जाती गरीबी (नवगीत)
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वक्त को जिसने न समझा (नवगीत)
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जिंदगी है कुछ नही बस(नवगीत)
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आश दे तो आशना दे (नवगीत)
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आज धूप का चौथा दिन है । (नवगीत)
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चर्चाएं आपस में करते नभ के दोनों (नवगीत)
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आज के रिश्ते हुए हैं रोडलाइट (नवगीत)
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सन्नाटे गांवों में पसारे (नवगीत)
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देख चुप खुद मौन मुझसे प्रश्न कोई (नवगीत)
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सच का कोई मूल नही है (नवगीत?
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स्वप्न केवल स्वप्न बनकर हो गया बेकार तो (नवगीत)
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बादलों ने नभ निलय में ( नवगीत)
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सहज प्रेम से दूर आदमी (नवगीत)
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कल से धोती अम्मा जी की (नवगीत?
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