छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
मेरी कलम से... आनन्द कुमार अपना गांव है, अपना जहान है, अपनी माटी की, अलग ही पहचान है। खेत है बाग है, पौधों की मुस्कान है, सबसे अलग गंगा तीरे...
Poetry Writing Challenge · कविता · मेरी कलम से… आनन्द कुमार