Ajay Kumar Vimal Poetry Writing Challenge 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 25-बढ़ रही है रोज़ महँगाई किसे आवाज़ दूँ बढ़ रही है रोज़ महँगाई किसे आवाज़ दूँ मुफ़लिसों की जाँ पे बन आई किसे आवाज़ दूँ बेटियों की आबरू लुटती सर-ए-बाज़ार अब ईश बन बैठा तमाशाई किसे आवाज़ दूँ... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 1 199 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज उपयोग करके फेंको वो पैजा़र मैं नहीं ये बात याद रखना कि बेकार मैं नहीं खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज और भाव भी लगाने का हक़दार... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 1 236 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह अपनी ग़रज़ पे लोग मिले यार की तरह निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह दाने की जुस्तुजू में परिंदे चले गए तन्हा शजर खड़ा रहा लाचार की तरह... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 324 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 22-दुनिया गिरगिट जैसी चलती दुनिया हर पल रंग बदलती दुनिया बेकारी पर ताने कसती देख तरक़्क़ी जलती दुनिया तन्हा रहता सच का राही झूठे संग ये चलती दुनिया चाहे लाख जतन... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 393 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 21-रूठ गई है क़िस्मत अपनी दोस्त बनी जो ग़ुर्बत अपनी रूठ गई है क़िस्मत अपनी साथ वो मुफ़लिस के क्यों रहता उसकी भी थी इज़्ज़त अपनी नफ़रत का यह दौर मिटे बस इतनी सी है... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 153 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 20-चेहरा हर सच बता नहीं देता चेहरा हर सच बता नहीं देता आइना सब दिखा नहीं देता ज़ख़्म वो बार-बार देता है मौत की पर सज़ा नहीं देता रोग ऐसा लगा मुहब्बत का कोई जिसकी दवा... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 145 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 19-कुछ भूली बिसरी यादों की कुछ भूली बिसरी यादों की, सुंदर बड़ी कहानी है वैसे तो कुछ और नहीं पर, यह जानी पहचानी है गाँव हमारे नीम छाँव में, रहती मात भवानी है लोग मानते... Poetry Writing Challenge · कविता 2 1 239 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 18- ऐ भारत में रहने वालों एक बरस मैं खोयी रहती, जाति - धर्म के नारों में याद मुझे करता है भारत, यदा - कदा जयकारों में उसी समय बस मुस्काने को, बाहर मैं तो आती... Poetry Writing Challenge · गीत 150 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 17- राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा आज़ादी का जश्न मनाओ, लेकिन इतना भान रहे राष्ट्रध्वज हो सबसे ऊँचा, हरदम इसका ध्यान रहे तीन रंग से बना तिरंगा, महज एक परिधान नहीं भारत का वैभव दर्शाता, इसके... Poetry Writing Challenge · गीत 175 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 16- उठो हिन्द के वीर जवानों मुझको गीत नहीं भातें हैं, गोरे गोरे गालों के न मृगी नैनी सी आँखों के, स्याह न उड़ते बालों के मैंने अपने गीत चुने हैं, भारत माँ के वीरों से... Poetry Writing Challenge · कविता 208 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 15- दोहे वृक्ष धरा पर हैं सभी, कुदरत की पहचान। इनसे ही जीवन यहाँ, बात सभी लें जान।। वृक्षारोपण कीजिये, आज दिवस है खास। यह धरती बिन पेड़ के, लगती बहुत उदास।।... Poetry Writing Challenge · दोहा 305 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 14- वसुधैव कुटुम्ब की, गरिमा बढाइये किसी के भी देव पर, करके कमेंट ओछी आप उसकी आत्मा को, ठेस न लगाइए कोई पूजे शिव शम्भू, गॉड ख़ुदा वाहेगुरू मथुरा मदीना काशी, शीश को झुकाइये यदि लड़े... Poetry Writing Challenge · कविता 154 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 13-छन्न पकैया छन्न पकैया छन्न पकैया छन्न पकैया, मौसम है गर्मी का तेज धूप है बदन जलाती, कृषक और कर्मी का छन्न पकैया छन्न पकैया, टपके खूब पसीना नर-नारी, पशु पक्षी का, कठिन हुआ... Poetry Writing Challenge · कविता 156 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 12- अब घर आ जा लल्ला बड़े सुहाने दिन बचपन के, मिलती मीठी गोली। खेल खेलने चल देते थे, साथ सभी हमजोली।। मिलते थे सब यार जहाँ पर, खूब मचाते हल्ला। दादी कह-कह थक जाती थी,... Poetry Writing Challenge · कविता 474 Share Ajay Kumar Vimal 15 Jun 2023 · 1 min read 11-कैसे - कैसे लोग कैसे - कैसे लोग धरा पर, करते कैसी बात चिकनी - चुपड़ी बातों में वे, कर जाते हैं घात काम करे निःस्वार्थ भाव जो, बोले एक न बोल स्वार्थ साधने... Poetry Writing Challenge · कविता 213 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ उदासी से भरे चहरों की हम मुस्कान बन जाएँ घृणा के दौर में भी प्रेम की पहचान बन जाएँ हमारे देश की मिट्टी किसी से भेद कब की है भुलाकर... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 188 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 9-अधम वह आदमी की शक्ल में शैतान होता है वो जिसका आबरू से खेलना अरमान होता है हवस की भूख में अंधा वही इंसान होता है जहाँ में नारियों की अस्मिता को लूटने वाला अधम वह आदमी की शक्ल... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 243 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 8-मेरे मुखड़े को सूरज चाँद से माँ तोल देती है कभी कुछ माँग लूँ माँ से तो बाहें खोल देती है लगा छाती मुझे वो प्रेम भी अनमोल देती है अगर कोई उसे कह दे कि काला है तेरा बेटा... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 464 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए कुछ रहबरों के अम्न का ये काम देखिए सर काटने का देते हैं पैग़ाम देखिए जीवन गुज़ारना था यहाँ प्यार से मगर दिल नफ़रतों का बन गया गोदाम देखिए जीवन... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 440 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 6-जो सच का पैरोकार नहीं जो सच का पैरोकार नहीं वो काग़ज़ है अख़बार नहीं भाग्य भरोसे जीना छोड़ो मुफ़लिस हो तुम लाचार नहीं कहलाता ग़द्दार हमेशा भारत से जिसको प्यार नहीं आँधी मुझको मत... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 2 256 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं ये तो मुमकिन नहीं आशिकी छोड़ दें गर कहो तो अभी ज़िन्दगी छोड़ दें ग़ैर के हो गए तुम ख़बर है मगर दीद की कैसे हम तिश्नगी छोड़ दें जाम... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 1 491 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 4-मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से ज़िन्दगी ये मिली जिनके एहसान से मेरे माँ बाप बढ़ के हैं भगवान से जब निगहबान ही भेड़िया बन गया अस्मिता क्या छुपेगी गिरेबान से काँच सा ये चटक जाएगा... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 476 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 3-फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है वो कहते हैं मिलने की मुहलत नहीं है हक़ीक़त में उनको महब्बत नहीं है ये बेटी बचाओ पढ़ाओ की बातें फ़क़त है सियासत हक़ीक़त नहीं है तलबगार है ये जहाँ... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 256 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 2- साँप जो आस्तीं में पलते हैं ज़ह्र अपनों पे ही उगलते हैं साँप जो आस्तीं में पलते हैं हम जिताते हैं वोट दे के जिन्हें वे ही छाती पे मूँग दलते हैं जाने बदनाम क्यों हैं... Poetry Writing Challenge · ग़ज़ल 297 Share Ajay Kumar Vimal 14 Jun 2023 · 1 min read 1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ बेच दिए भारत की थाती, माना बहुत विकास हुआ जो देता गाँधी को गाली, वहीं तुम्हारा खास हुआ पूछ रही है भारत माता, उसको यह बतला दो ना कैसे विष... Poetry Writing Challenge · मुक्तक 499 Share