Gouri tiwari “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Gouri tiwari 18 Apr 2022 · 1 min read बस एक निवाला अपने हिस्से का खिला कर तो देखो। वह पाषाण नहीं उनके अंदर भी दिल है , उनके दिलों में भी गम है, आँखें उनकी भी नम है, देखो जरा वह पिता हैं, देखो जरा, वह इंसान के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 10 14 715 Share