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18 Apr 2022 · 1 min read

बस एक निवाला अपने हिस्से का खिला कर तो देखो।

वह पाषाण नहीं उनके अंदर भी दिल है ,
उनके दिलों में भी गम है, आँखें उनकी भी नम है,
देखो जरा वह पिता हैं, देखो जरा,
वह इंसान के रूप में भगवान ही तो हैं।

बचपन में तुम्हारे जरा सी रोने से,
जिनका सीना छलनी छलनी हो जाता था,
आज उन्हें रोने की हजार वजह दे दिया करते हो।

तुम्हें काबिल बनाने के खातिर ,पिता दिन रात मेहनत करते थें, तुम्हारी हर एक ख्वाहिशें पूरी करने के खातिर,
ना जाने वह कितनी रातें बिना,
आराम किये गुजार दिया करते थे।

बचपन में कहा करते थे बड़ा होकर कमाकर खिलाऊंगा,
बस एक बार ,बस एक बार इन बातों को ,
दोहरा कर तो देखो।

बेशक मत उठाना जिम्मेदारियां उनकी,
बेशक मत उठाना जिम्मेदारियां उनकी,
उन्हें किस चीज की जरूरत है,
यह पूछ कर तो देखो।

उनके हिस्से का भी खाकर पले बड़े हो ,
बस एक निवाला ,बस एक निवाला ,
अपने हिस्से का खिलाकर तो देखो।

वह कांटें नहीं जो चुभने लगे हैं,
वह कांटे नहीं जो चुभने लगे हैं ,
आज भी फूलों की पंखुड़ियों की भाँति,
तुम्हारे पथ पर पड़े हैं।

देखो जरा वह पिता हैं, देखो जरा,
वह इंसान के रूप में भगवान ही तो हैं।

10 Likes · 14 Comments · 640 Views
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